लंदन /मेलबर्न।

चीन वर्ष 2015 से ही कोरोना वायरस बनाने में जुटा था । इसे जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल की तैयारी हो रही थी। इसके इस्तेमाल को लेकर बकायदा चीन ने जांच भी की थी। अमेरिकी विदेश विभाग के दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। ब्रिटेन के अखबार द सन ने द ऑस्ट्रेलियन की तरफ से जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पीएलए के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे। पीएलए के दस्तावेजों में दर्शाया गया है कि जैव हथियार के हमले से दुश्मन के चिकित्सा व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है।
चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस को जैविक हथियार के नए युग के तौर पर उल्लेख किया था। दस्तावेजों में अमेरिकी वायु सेना के कर्नल माइकल जेके कार्यो का भी जिक्र है जिन्होने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ने की बात कही थी। दस्तावेजों में भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स मानव निर्मित जैव हथियार हो सकता है। जिसे जानबूझकर फैलाया गया। सांसद टॉम टगेनधट और ऑस्ट्रेलियन राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा है कि दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर वैश्विक चिंता पैदा कर दी है। वहीं चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीन की छवि खराब करने की आलोचना की है ।