वाशिंगटन/लंदन
अमेरिका रक्षा विभाग के कार्यालय पेंटागन ने अफगानिस्तान की जमीनी हालात को चिंताजनक बताते हुए कहा कि तालिबान जल्द से जल्द राजधानी काबुल पर कब्जा करने के प्रयास में है। इससे हालत खराब है। पेंटागन के प्रेस सचिव डॉ किर्बी ने दोहराया कि अमेरिका सेना काबुल को निरंतर समर्थन देती रहेगी और यह जमीनी स्तर पर बदलाव लाने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से तालिबान आगे बढ़ रहा है, वह अधिक चिंतनीय है। ऐसे में अफगान की जनता, नेताओं और सेना का एकजुट रहने की जरूरत है। अमरीकी समुद्री सेना की बटालियन के जवान पहले से तैनात है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सप्ताह के अंत तक 3000 अन्य सैनिकों की तैनाती की जाएगी। इस मिशन का समर्थन करने के लिए यूएस ट्रांसपोर्टेशन कमांड अपने सेंट्रल कमांड के साथ एयर लिफ्ट योजना विकसित कर रहा है।
मालूम हो कि तालिबान अफगानिस्तान के दो तिहाई हिस्से पर कब्जा जमा चुका है और रणनीति के तहत शेष इलाकों पर कब्जा के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को हटाने का निर्णय गलत था-वॉलेस
वही यूके के रक्षा सचिव बेन वॉलेस ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को हटाने का निर्णय गलत था। इससे तालिबान को अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर कब्जा जमाने का मौका मिला है। इसके बाद ब्रिटेन को भी पीछे हटना पड़ा है। इस हालात में ब्रिटिश नागरिकों और दुभाषियो को देश छोड़ने में मदद करने के लिए ब्रिटेन वहां 600 सैनिकों को तैनात करेगा। वॉलेस ने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा दोहा में तालिबान के साथ किया गया सैन्य वापसी का समझौता एक सड़ा हुआ समझौता था। इस गलती का खामियाजा पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भुगतना पड़ेगा।
उल्लेखनीय हो कि 20 वर्ष पूर्व अमेरिका और नाटो के सैनिक अफगानिस्तान आकर तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था।