Siwan News: कश्मीर में शहीद हुए सेना के जवान रामबाबू सिंह का शव बुधवार को उनके पैतृक गांव बड़हरिया प्रखंड के वासिलपुर पहुंचा। जहां राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान हज़ारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। हर तरफ से रामबाबू सिंह अमर रहे के नारे लग रहे थे। इन सबके बीच परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। पत्नी अंजलि इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वह रोते रोते बेहोश हो जा रही थी। वहीं शहीद की मां की तबीयत भी बिगड़ गई थी।

तरवारा बाजार से सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ पार्थिव शरीर पहुंचा शहीद के गांव
सोमवार को जवान रामबाबू सिंह के कश्मीर में शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। इसके बाद मंगलवार को पूरे दिन शहीद रामबाबू के घर पर लोगों की भीड़ जमी रही। हर कोई उनके शव आने की प्रतिक्षा कर रहा था। बुधवार को पटना एयरपोर्ट से जब शहीद रामबाबू सिंह का पार्थिव शरीर सिवान स्थित उनके गांव वासिलपुर के लिए निकला तो लोग शव यात्रा को जुलूस में बदलने के लिए करीब 15 किलोमीटर पहले से तरवारा में इंतजार करने लगे। इसके बाद सैकड़ों बाइक और गाड़ियों की काफिले के साथ शव वासिलपुर पहुंचा।
शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सच्चा देश भक्त बताया
शहीद का शव गांव पहुंचने से पूर्व ही सिवान की सांसद विजय लक्ष्मी देवी, डीएम मुकुल कुमार गुप्ता, एसपी अमितेश कुमार, बड़हरिया के विधायक बच्चा पांडेय, करणजीत सिंह, अमरजीत कुशवाहा समेत सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। सबने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सच्चा देश भक्त बताया। इस दौरान लोगों में पाकिस्तान के प्रति आक्रोश भी देखने को मिला। लोग रह रह कर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। रामबाबू सिंह के परिजनों का कहना है कि शहीद की पत्नी अंजलि दो माह की गर्भवती है। उसे उचित सम्मान मिलना चाहिए। जिससे कि वह अपना गुजर बसर ठीक से कर सकें।
शहीद के शव को लेकर आए सेना के जवानों ने परेड कर अपने साथी को आख़िरी सलामी दी। सेना के परेड को देख लोगों के अंदर देशभक्ति का ज्वाला धधक उठा। सब एक साथ शहीद रामबाबू सिंह अमर रहे के नारे लगा रहे थे। वही शहीद के बड़े भाई अखिलेश सिंह के आंखों से निरंतर आंसू बार रहे थे। लेकिन उनके चेहरे पर एक शहीद के भाई होने का फक्र भी दिख रहा था। उन्होंने बताया कि बचपन से ही रामबाबू सेना में जाना चाहते थे। ईश्वर ने उनके सपनों को पूरा किया। उन्होंने देश के लिए बलिदान दिया है। इस बात का हमेशा गर्व रहेगा।