खुदी मुंडा पर दर्ज हैं 50 मामले,एनआईए ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है
Gumla: चार पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल पांच लाख के इनामी भाकपा माओवादी नक्सली खुदी मुंडा ने मंगलवार को झारखंड पुलिस की नई दिशा नई पहल के तहत आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में खुदी मुंडा ने विधिवत रूप से रांची रेंज के डीआईजी अनूप बिरथरे के सामने हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इस दौरान गुमला एसपी और सीआरपीएफ के अधिकारी भी उपस्थित थे।
भरनो प्रखंड के बटकुरी गांव का रहने वाला खुदी मुंडा भाकपा माओवादी संगठन में सब जोनल कमांडर है। उसके पर झारखंड पुलिस ने पांच लाख और एनआईए ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। खुदी पर गुमला, सिमडेगा, लातेहार जिला के थानों में 50 केस दर्ज हैं। चैनपुर थाना में हमला, चैनपुर ब्लॉक भवन को उड़ाने व चैनपुर पुलिस पर हमला कर चार पुलिसकर्मियों को मारने की घटना में भी खुदी शामिल रहा है। खुदी मुंडा पिछले दो वर्ष से पालकोट और सिमडेगा के सीमांत में अपनी गतिविधि चलाता था। पिछले माह दो कमांडर राजेश उरांव और लाजिम के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से ही खुदी ने आत्मसमर्पण का मन बना लिया था।
डीआईजी अनूप बिरथरे कहा कि सरकार नक्सलियो को यह मौका दे रही है कि नई दिशा नई पहल के समझ वो हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दें और राष्ट्र की मुख्य धारा में आकर परिवार के साथ जीवन गुजारें ।उन्होने कहा कि यदि नक्सली आत्मसमर्पण नही करते है त गोली खाने को तैयार रहे।
इस मौके पर पुलिस ने बताया कि लाजिम अंसारी बुद्धेश्वर उरांव व राजेश उरांव के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद खुद ही मुंडा ने आत्मसमर्पण किया है और कहा है कि शेष बचे हुए नक्सली भी जंगल में भटकने से अच्छा सरकार की इस नीति का लाभ उठाएं।पुलिस अधीक्षक गुमला के डॉक्टर एहतेशाम वकारीब ने बताया कि लगातार ‘नई दिशा एक पहल’ के तहत मुख्यधारा से जुड़ने के लिये बचे हुए नक्सलियों से अपील की जा रही थी जिस तरह खुदी मुंडा ने आत्मसमर्पण किया है सभी आत्मसमर्पण कर दें।
संगठन में ऐसे शामिल हुआ खुदी मुंडा
सरेंडर के बाद नक्सली खुदी मुंडा ने कहा कि 1996 में अपने चचेरे भाई पूर्व में माओवादी का सक्रिय सदस्य बॉबी मुंडा के लिए सामान पहुंचाने और पुलिस के आवागमन की सूचना देने का कार्य करता था। 1999 में चचेरा भाई के साथ लापुंग थाना क्षेत्र में हथियारों की लूटपाट और कई नक्सली घटनाओं में शामिल रहा। वर्ष 2001 में गिरफ्तार होकर जेल चला गया। जेल में बंद रहने के दौरान उग्रवादी संगठन के कई सदस्यों से जान पहचान हुई।
2005 में जेल से बाहर आने के बाद पारिवारिक विवाद के कारण भाकपा माओवादी के कमांडर मनोज नगेसिया और सिलबेस्तर लकड़ा के संपर्क में आया और दस्ता के साथ रहने लगा। वर्ष 2008 में पालकोट कोलेबिरा सिमडेगा गुमला क्षेत्र का एरिया कमांडर बनाया गया। इसके बाद वर्ष 2009 में रीजनल कमांडर सिलबेस्तर लकड़ा द्वारा पालकोट सिमडेगा क्षेत्र का सब जोनल कमांडर बनाया गया। सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया।
पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद खुदी मुंडा ने कहा की वह ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था जिस वजह से दूसरों के कहने पर वह नक्सली बन जंगलों में भटका करता था। अब वह बाकी का समय अपने परिवार के साथ सुख चैन की जिंदगी गुजारना चाहता है।
मौके पर उप विकास आयुक्त हेमंत सती, एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल सहित,सार्जेंट मेजर,थाना प्रभारी मनोज कुमार सहित पुलिस के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
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