रांची। छत्तीसगढ़ और झारखंड में मसीहियों के साथ मारपीट और चर्च में तोड़फोड़ की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ झारखंड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन के बैनर तले सोमवार को विरोध महारैली निकाली गयी। महारैली गोस्सनर कंपाउंड से शुरू होकर मेन रोड होते हुए मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका के निकट पहुंच कर सभा में तब्दील हो गयी।
इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि हम सबको मेल और प्रेम से रहना है लेकिन देखा जा रहा है कि हमारे देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं, जो हमारी भाईचारगी, एकता और समन्वय को तोड़ना चाहती हैं। वह हमारे संविधान को कुरेद रहे हैं। हमें चाहिए कि हम संविधान का सम्मान करें और उसी के अनुसार जीने का प्रयास करें।
बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने कहा कि हमने स्कूल खोले हैं, जहां सरकार नहीं पहुंचती थी, हमने अस्पताल खोले। ऐसे कार्यों का विरोध करने वाली शक्तियां ही बोलती हैं कि हम सेवा कर धर्मांतरण करते हैं। कोई व्यक्ति, पार्टी या संगठन हमसे नहीं कह सकता कि घर वापसी करो। आज हम यहां ईसाइयों के हक के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक के हक के लिए खड़े हैं।
विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि संविधान के अनुसार सबको अपने धर्म के अनुपालन का मौलिक अधिकार है। किसी गरीब की सेवा को धर्म परिवर्तन कहना अतार्किक है। आदिवासी क्या इतना मूर्ख है कि एक मुर्गा और एक बोतल में धर्म परिवर्तन कर लेगा? मैं भी राजनीति में हूं, चुनाव लड़ कर आयी हूं। जानती हूं कि आदिवासी इतना समझदार है कि सबसे मुर्गा ले लेता है, पर वहीं ठेपा लगाता है, जहां लगाना है।
राष्ट्रीय ईसाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह झारखंड प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रभाकर तिर्की ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय के धार्मिक स्थल पर लगातार तोड़फोड़ की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण और आश्चर्यजनक हैं। क्योंकि वहां कांग्रेस की अपनी सरकार है, जिसे हम अपनी सरकार समझते हैं। छत्तीसगढ़ में हो रही हिंसा आरएसएस व कट्टरवादी हिंदू संगठनों द्वारा प्रायोजित है और आदिवासी समुदाय को कमजोर करने की साजिश है। इसे लेकर जल्दी ही राष्ट्रीय ईसाई महासंघ और कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मिलकर हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग करेगा।