सुपौल।
करीब 87 साल के लंबे इंतजार के बाद कोसी नदी पर निर्मित पुल पर फिर से ट्रेनों का परिचालन शीघ्र शुरू होगा। इसको लेकर 516 करोड़ की लागत से निर्मित 1 . 9 किलोमीटर लंबे कोसी रेल महासेतु पर शनिवार 27 फरवरी को सीआरएस crs निरीक्षण कराया जाएगा। सीआरएस निरीक्षण से हरी झंडी मिलने पर ट्रेन परिचालन शुरू कर दिया जाएगा। लोगों की माने तो कोसी के इलाके में मीटर गेज पर दरभंगा से फारबिसगंज तक वर्ष 1898 के पूर्व ट्रेन चलती थी। तब कोसी नदी पर निर्मली -सरायगढ़ के बीच मझारी में पुल था। मगर 1934 के विनाशकारी भूकंप में पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया था।
सन 1975 में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र के प्रयास से सहरसा से फारबिसगंज के बीच रेल सेवा बहाल हुई। लेकिन सरायगढ़ से निर्मली का संपर्क स्थापित करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई। वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने कोसी पर रेल महासेतु की नींव रखी थी। इस रूट पर ट्रेन परिचालन होने से सीमांचल और मिथिलांचल के दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार के लोगों को काफी सुविधा मिलेगी।
मालूम हो कि सन 1934 तक रेल सेवा के माध्यम से जुड़ा कोसी- मिथिलांचल का संपर्क टूटने के बाद सुपौल जिले का एक निर्मली अनुमंडल के लोग वर्षों तक अलग-थलग पड़े थे। हालात ऐसे हो गए कि निर्मली अनुमंडल के लोग खुद को पड़ोस के मधुबनी जिले का ही हिस्सा मानने लगे। यहां के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव अथवा नेपाल के रास्ते सफर करने की मजबूरी थी। इसमें 24 से 36 घंटे तक का वक्त लग जाता था। 8 फरवरी 2012 को सड़क महासेतु का उद्घाटन हुआ था। इधर कोसी पर रेल पुल बनाने से कोसी और मिथिलांचल के लोगों का इंतजार खत्म होने की आशा जगी है और इसको लेकर उनके चेहरों पर मुस्कान तैरने लगी है।