Patna: जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने रविवार को बयान जारी कर राजद द्वारा निकाले गए राजभवन मार्च पर जमकर पलटवार किया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 15 वर्षों के शासनकाल में राजद ने बिहार को जातीय उन्माद और नरसंहार की आग में झोंकने का कुकृत्य किया था। इसलिए, राजभवन मार्च के नाम पर राजनीतिक पाखंड करने के बजाए राजद को पश्चाताप मार्च निकालना चाहिए।
उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि राजद की ओर से आपराधिक घटनाएं संबंधित भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत कर प्रदेश की जनता को बरगलाने का खेल चल रहा है। राजनीतिक तौर पर बेरोजगार हो चुका विपक्ष अब झूठ और दुष्प्रचार की दुकान सजाकर बैठ गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अपराध की छिटपुट घटनाओं पर झूठी चिंता जाहिर करने से पहले राजद को आईना जरूर देखना चाहिए। उन्होंने राजनीति का अपराधीकरण के लिए राजद को जिम्मेदार ठहराया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लालू-राबड़ी के शासन के दौरान बिहार में अपहरण एक उद्योग के रूप में स्थापित हो चुका था और अवैध धन उगाही का बड़ा माध्यम था। एक रिपोर्ट के मुताबिक राजद के 15 वर्षों में 32 हजार से अधिक अपरहण के मामले दर्ज किये गए थे। उन्होंने कहा कि राजद नेताओं और माफियाओं के गठजोड़ से 15 वर्षों तक यह उद्योग खूब फला-फुला। बिहार का चप्पा-चप्पा अपहरण, हत्या, बलात्कार, रंगदारी और भ्रष्टाचार जैसी घटनाओं जाना जाता था। जिसके सरगना राजद से जुड़े हुए लोग थे।
उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि लालू-राबड़ी की सरकार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चैपट थी। पीड़ितों को न्याय मिलने की बात तो दूर, आपराधिक मामलों का मुकदमा तक दर्ज नहीं होता था। वहीं, आज अपराध करने वाला कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 के बाद बिहार से भय का वातावरण समाप्त किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार में संगठित अपराध से जुड़े एक भी आपराधिक मामले सामने नहीं आते हैं।