Ranchi: राज्य में कांग्रेस के चार प्रत्याशियों को विरोधियों से अधिक अपनों से ही खतरा है। कई जगहों पर कार्यकर्ता खुलकर पार्टी प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं। इसकी झलक पिछले दिनों रांची में आयोजित उलगुलान न्याय महारैली में भी देखने को मिली। उन्हें चुनाव मैदान में प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबले से पहले बगावत और भितरघात की चुनौती से जूझना होगा।
झारखंड में इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग के तहत कांग्रेस के हिस्से 14 में से सात सीटें आई हैं। इनमें चार सीटों चतरा, गोड्डा, धनबाद और लोहरदगा में उम्मीदवारी घोषित किए जाने के बाद सामने आ रही प्रतिकूल रिपोर्टों की वजह से कांग्रेस नेतृत्व चिंतित है। भाजपा की तरह गोड्डा सीट पर तो पार्टी को उम्मीदवार बदलना पड़ा है। चतरा सीट पर भी गठबंधन से बगावत की तेज लहर की वजह से घोषित प्रत्याशी का नाम वापस लेकर उसकी जगह दूसरा चेहरा देने पर गंभीरता से विचार चल रहा है।
बीते 21 अप्रैल को रांची में इंडी गठबंधन की उलगुलान न्याय महारैली के दौरान चतरा से कांग्रेस के प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के समर्थकों और विरोधियों के बीच जमकर मारपीट हो गई थी। इसमें दोनों पक्षों से कई लोग घायल हो गए थे और रैली में कुछ वक्त के लिए अफरा-तफरी मच गई थी। केएन त्रिपाठी डाल्टनगंज के रहने वाले हैं। उन्हें चतरा सीट पर उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह तो नाराज है ही, गठबंधन की दूसरी पार्टी राजद के नेता-कार्यकर्ता खुलेआम बगावत पर उतर आए हैं। साथ ही चतरा के स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाने की मांग कर रहे हैं। इस सीट पर राजद की भी प्रबल दावेदारी थी लेकिन कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार उतार दिया।
गोड्डा सीट पर कांग्रेस ने पहले महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह को प्रत्याशी बनाया था। उनकी उम्मीदवारी घोषित होते ही देवघर और गोड्डा में पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। पार्टी के जिला कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन करते हुए नेताओं-कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफे तक की धमकी दे दी। आखिरकार पांच दिन बाद पार्टी ने यहां दीपिका की जगह पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
कांग्रेस के जामताड़ा क्षेत्र के विधायक डॉ. इरफान अंसारी इस सीट पर अपने पिता फुरकान अंसारी को टिकट देने की मांग कर रहे थे। फुरकान अंसारी और इरफान अंसारी का कहना है कि पार्टी ने पूरे राज्य में एक भी मुसलमान को उम्मीदवार नहीं बनाया जबकि उनकी आबादी 18 फीसदी है। ऐसे में प्रदीप यादव के सामने दो विधायकों दीपिका पांडेय सिंह एवं इरफान अंसारी और उनके समर्थकों को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती है।
धनबाद सीट पर कांग्रेस ने दिग्गजों की दावेदारी को दरकिनार कर अनुपमा सिंह को टिकट दिया है। उनका इस चुनाव के पहले सक्रिय राजनीति से वास्ता नहीं रहा। उनकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बोकारो जिले के बेरमो से कांग्रेस की विधायक जयमंगल सिंह सिर्फ अनूप सिंह की पत्नी हैं। बोकारो और धनबाद में पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं का एक समूह उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर रहा है। इससे संबंधित तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है।
लोहरदगा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुखदेव भगत को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर झामुमो भी दावेदारी कर रहा था। अब खबर है कि विशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा यहां बागी प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतर रहे हैं। पिछले चुनाव में भी सुखदेव भगत और चमरा लिंडा दोनों मैदान में थे और दोनों के बीच वोटों के बंटवारे से भाजपा के प्रत्याशी की जीत की राह प्रशस्त हो गई थी। झामुमो विधायक चमरा लिंडा के फिर से मैदान में आने पर कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत की मुश्किलें बढ़ेंगी।