रांची।
राज्य की पिछली सरकार द्वारा लागू की गई नियोजन नीति को हाईकोर्ट ने गलत करार दिया है। सोमवार को लागू नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से इसे गलत करार दिया। खंडपीठ में जस्टिस एच सी मिश्रा, जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन शामिल है। हाई कोर्ट द्वारा नियोजन नीति को गलत करार देने के बाद अब यह नीति राज में निष्प्रभावी हो गया है। उल्लेखनीय है कि लागू किए गए नियोजन नीति में अनुसूचित जिले में गैर अनुसूचित जिले के लोगों को नौकरी के लिए आयोग माना गया था। जबकि अनुसूचित जिले के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन दे सकते थे। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य के किसी भी जिले का निवासी किसी अन्य जिले में नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है।
बताते चलें कि लागू किए गए नियोजन नीति के खिलाफ पलामु की प्रार्थी सोनी कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अनुसूचित जिले की रहने वाली है और उन्होंने दूसरे जिले में हाई स्कूल नियुक्ति की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था। लेकिन उनका आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया गया था कि वह गैर अनुसूचित जिले की हैं। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए उस वक्त शिक्षकों की की गई बहाली को रद्द करते हुए सरकार को दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
हाइकोर्ट के फैसले से राज्य के आरक्षित 13 जिलों के हाई स्कूलों में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया है। कोर्ट ने 17,572 शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए निकाले गये विज्ञापन को भी खारिज कर दिया है। यह विज्ञापन साल वर्ष 2016 में निकाला गया था।