पटना। हाईकोट ने बिहार के बहुचर्चित खजूरबानी जहरीली शराब कांड में फांसी की सजा पाए 9 दोषीयों को बरी कर दिया है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह व हरिश कुमार की खंडपीठ ने सभी दोषियों को बुधवार को रिहा करने का आदेश जारी किया है। बरी किए गए लोगों में छठु पासी, कन्हैया पासी, रंजय पासी, मुन्ना पासी, राजेश पासी, नगीना पासी, लालबाबू पासी, सनोज पासी व संजय पासी को निचली अदालत से फांसी की सजा सुनाया गया था।
मामले में हाई कोर्ट के अधिवक्ता विकास रत्न भारती व सरकार के पक्ष से एपीपी अजय मिश्रा की दलीलों व साक्ष्यों को देखने के बाद हाई कोर्ट ने 12 मई को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। शराब कांड के दोषियों के बरी होने की खबर से इनके परिजनों के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी है। परिजनों ने कहा कि हाई कोर्ट ने इंसाफ दिया है। पुलिस वालों ने उस वक्त जो मिला उसे ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आज हाई कोर्ट ने सजा से मुक्त करते हुए इंसाफ दिया है।
स्पेशल कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा
बिहार के गोपालगंज जिले के चर्चित खजूरबानी जहरीली शराब कांड में एडीजे-2 सह स्पेशल जज (उत्पाद) लवकुश कुमार की कोर्ट ने पांच मार्च 2021 को 13 में से नौ दोषियों को फांसी और चार महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट के फैसले के बाद सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया था। करीब साढ़े चार वर्षों तक चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष से सात और बचाव पक्ष की ओर से एक की गवाही हो सकी थी। चारों महिलाओं को आजीवन कारावास के साथ 10-10 लाख रुपये के अर्थदंड की भी सजा सुनाई गई थी।
नगर थाने के सभी पुलिसकर्मी किये गये थे बर्खास्त
खजूरबानी कांड के बाद नगर थाने के इंस्पेक्टर समेत सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। राज्य सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था। हालांकि पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी के आदेश को चार फरवरी 2021 को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसमें सरकार की ओर से डबल बेंच में रिट दायर किया गया था।
15 व 16 अगस्त 2016 को नगर थाने के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। 10-12 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। 16 और 17 अगस्त 2016 को छापेमारी कर पुलिस ने खजूरबानी में भारी मात्रा में जहरीली शराब बरामद की थी। शराब बरामदगी के बाद नगर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष बीपी आलोक के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस के आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सुनवाई शुरू हुई थी। सुनवाई के दौरान ही एक आरोपित ग्रहण पासी की मौत हो गई। इस मामले में 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
एडीजे दो उत्पाद स्पेशल कोर्ट से जो सजा सुनाई गयी थी, उसमें बचाव पक्ष को एफएसएल की रिपोर्ट की ना तो कॉपी दी गयी और ना ही उस बिंदु पर सुना गया। पीड़ित बंधु राम को भी अभियोजन की ओर से कोर्ट में साक्षी के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया। सिर्फ सुने-सुनाए तथ्यों पर ही मृत्युदंड की सजा दे दी गयी। जिसे हाई कोर्ट ने अपने 89 पेज के फैसले में जिक्र करते हुए सजा देने की प्रक्रिया गलत पाते हुए सभी दोषियों को रिहा कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में करेंगे अपील : रविभूषण श्रीवास्तव
उत्पाद स्पेशल लोक अभियोजक रविभूषण श्रीवास्तव ने कहा कि पटना हाई कोर्ट का फैसला आया है। फैसले का अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। हाई कोर्ट के आदेश पत्र को पढ़ने के बाद ही कुछ बोलना उचित होगा।