पटना। गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक जय प्रकाश मिश्र ने अदालती आदेश के बाद भी उनके पद पर बहाल नहीं किए जाने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर दस दिनो के अंदर जवाब तलब किया और कोर्ट के कार्यालय को आदेश की प्रति तुरंत मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजने को कहा है। हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश पर विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा भी सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे। हाई कोर्ट ने उनसे पूछा कि आदेश की अवहेलना के मामले में क्यों नही उन्हें जिम्मेवार माना जाए।
मालूम हो कि न्यायमूर्ति पीबी बजनथ्री की एकल पीठ अदालत आदेश की अवमानना को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। हाई कोर्ट ने सरकारी वकील द्वारा दायर सभी स्पष्टीकरण खारिज करते हुए कहा कि संयुक्त सचिव अगर न्यायिक सेवा के अधिकारी है तो उन्हें पता होना चाहिए कोर्ट के आदेश का पालन करना उनकी प्राथमिकता थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर यह मामला मुख्यमंत्री के यहां लंबित है, तो उनहें पहल करनी चाहिए थी जो उन्होंने नही किया।
न्यायमूर्ति ने कहा कि मामले को लेकर जिम्मेवार व्यक्ति को खुद अदालत में जवाब देना होगा। मालूम हो कि इसके पहले हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर 2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र जारी कर दे। अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई तो अदालती आदेश की अवमानना का यह मामला दायर किया गया, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह निर्देश दिया।