अंतिम यात्रा के दौरान रास्ते भर तिरंगा लेकर हजारों लोगों का हुजूम चला
दोनों बेटियों कृतिका और तारिनी ने धार्मिक रीति-रिवाज पूरे कर दी मुखाग्नि
नई दिल्ली। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका का अंतिम संस्कार बरार स्क्वायर श्मशान घाट पर शुक्रवार शाम किया गया। उनके अंतिम यात्रा के दौरान रास्ते भर तिरंगा लेकर लोगों का हुजूम चला । सैकड़ों लोग तिरंगा लेकर उनके पार्थिव शरीर के साथ चले। सड़कों पर जगह-जगह होर्डिंग लगाई गईं। श्मशान घाट तक रास्ते भर लोग ‘सीडीएस बिपिन रावत अमर रहे’ के नारे लगाते रहे। लोगों ने न सिर्फ फूल बरसाए, बल्कि इस दौरान भारत माता के नारे भी लगाए। दिल्ली के नागरिकों ने ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, बिपिन जी का नाम रहेगा’ के नारे लगाए। अंतिम यात्रा जब श्मशान घाट पर पहुंची तो मातम धुन के बीच रावत दम्पति के पार्थिव शरीर सैन्य वाहन से उतारे गए। गौरतलब हो कि गत 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त में सीडीएस उनकी पत्नी सहित 13 सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी।
सैन्य सम्मान के साथ 17 तोपों की सलामी देकर रावत दम्पति को अनंत यात्रा के लिए विदा किया गया। उनके अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्था उसी गोरखा राइफल्स की यूनिट 5/11 ने संभाली, जिससे जनरल रावत ने अपना सैन्य सफर शुरू किया। सेना में आने के बाद उन्हें इसी यूनिट में कमीशन दिया गया और मरते दम तक उनकी वर्दी पर अनगिनत मैडल सजे।
इससे पहले जनरल रावत के सरकारी आवास पर देश के तमाम नेताओं, सैन्य अधिकारियों, गण्यमान्य लोगों और विदेशी सैन्य बलों के अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की। बरार स्क्वायर श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। श्मशान घाट पर फिर एक बार सीडीएस को श्रद्धांजलि देने का क्रम शुरू हुआ। भारतीय सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने श्रद्धांजलि दी। अंत्येष्टि के लिए जनरल रावत के पार्थिव शरीर को तीनों सेना प्रमुखों ने कन्धा दिया और भारतीय सैन्य बलों के बैंड दलों ने मातमी धुन बजाई। इसके बाद रावत दम्पति के पार्थिव शरीर एक ही चिता पर रखे गए।
दोनों बेटियों कृतिका और तारिनी ने माता-पिता के लिए धार्मिक रीति-रिवाज पूरे किये। अंतिम संस्कार से पहले सैन्य प्रोटोकॉल के अनुसार 17 तोपों की सलामी दी गई। सैन्य परंपरा के अनुसार त्रि-सेवाओं के बिगुलरों ने लास्ट पोस्ट और राउज खेला और इसके बाद जनरल रावत की दोनों पुत्रियों ने दोनों चिताओं को एक साथ मुखाग्नि दी। इस दौरान 800 जवान यहां मौजूद रहे।
भारतीय सैन्य बलों के पहले प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सेना अपने शीर्ष अधिकारियों को भेजा। श्रीलंका सेना की ओर से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और श्रीलंकाई सेना के कमांडर जनरल शैवेंद्र सिल्वा शामिल हुए। उनके साथ पूर्व सीडीएस एडमिरल रवि विजेगुनारत्ने, (सेवानिवृत्त) भी रहे, जो भारत के नेशनल डिफेंस कॉलेज में सीडीएस रावत के कोर्समेट थे। सीडीएस बिपिन रावत के अंतिम संस्कार में नेपाली सेना का प्रतिनिधित्व उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बाल कृष्ण कार्की ने किया। रॉयल भूटान सेना के प्रतिनिधि के रूप में उप मुख्य संचालन अधिकारी ब्रिगेडियर दोरजी रिनचेन शामिल हुए। वह चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर के बाद रॉयल भूटान आर्मी के दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश सशस्त्र बल प्रभाग के प्रधान स्टाफ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल वेकर-उज-जमान ने भी भारत के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी रावत को विदाई दी।