रांची।

ब्लैक फंगस से जूझ रही उषा देवी की मौत् इलाज के क्रम में रविवार को रिम्स में हो गई। उषा देवी की तबियत सुबह बिगड़ गई थी। हाई कोर्ट के फटकार के बाद भी उसने इलाज में रिम्स प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई। तबियत बिगड़ने पर भी तीन घंटे तक कोई डॉक्टर उसे देखने तक नहीं आया। मृत महिला के पुत्र गौरव के बताया कि सुबह उसकी मां का पल्स बढ़ गया था और ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच गया था। इस पर डॉक्टर और नर्स को बुलाने पर कोई नहीं आया। करीब 9 बजे डॉक्टरो की टीम जांच करनेके बाद उसकी मां को मृत घोषित कर दिया गया।
मालूम हो कि महिला के इलाज को लेकर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर 7 जुलाई को रिम्स प्रबंधन को फटकार लगाई थी। इसके बाद 8 जुलाई को उषा देवी का ऑपरेशन हुआ था। पर स्थिति बिगड़ती चली गई। गौरव ने डॉक्टरो पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए बताया कि ऑपरेशन के बाद उसकी मां को देखने कोई डॉक्टर नहीं आया था। उसने सभी रिपोर्ट का फिर से परीक्षण करने की गुहार लगाई है।
वहीं रिम्स सुपरिटेंडेंट डा. डीके सिन्हा ने बताया कि गंभीर रूप से बीमार उषा देवी की मौत इलाज के दौरान हो गई। जबकि ईएनटी विभाग की एचओडी डा. सीके बिरूआ ने बताया कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। सेप्टीसीमिया में चले जाने के कारण उषा देवी की मौत हो गई।
उल्लेखनीय हो कि गिरिडीह के पंचब निवासी उषा देवी 45 वर्ष को इलाज के लिए 17 मई को रिम्स में लाया गया था। वह ब्लैक फंगस से संक्रमित थी। वहां उसके इलाज शुरू होने में दो दिन लग गए थे। इलाज में लापरवाही को लेकर उसके बच्चे सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे थे। हाई कोर्ट का दरवाजा खटखाटने के बाद चीफ जस्टिस ने रिम्स निदेशक को कड़ी फटकार लगाई थी।