झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच ही नहीं है, बल्कि परिवारों में भी जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। धनबाद, झरिया, और गोमिया जैसी सीटों पर रिश्तों की परीक्षा हो रही है, जहां बेटा पिता के खिलाफ, तो कहीं पत्नी अपने पति के खिलाफ चुनावी मैदान में डटी हैं। इस अद्भुत राजनीतिक संघर्ष ने झारखंड विधानसभा चुनावों को बेहद रोचक और खास बना दिया है, जहां हर ओर यह चर्चा का विषय बन गया है कि जब रिश्ते राजनीति की जंग में उतरते हैं तो क्या परिणाम होगा।
टुंडी में पिता-पुत्र का मुकाबला
धनबाद के टुंडी विधानसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के निवर्तमान विधायक मथुरा प्रसाद महतो का सामना उनके बेटे दिनेश महतो से हो रहा है। मथुरा प्रसाद ने 24 अक्तूबर को झामुमो के टिकट पर नामांकन किया था, जबकि उनके पुत्र दिनेश महतो ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा है। दिनेश महतो का मानना है कि क्षेत्र में विकास की गति धीमी रही है और वे जनता की भलाई के लिए अलग दृष्टिकोण से चुनाव में उतरे हैं। पिता-पुत्र की इस टक्कर ने स्थानीय मतदाताओं के बीच भी उत्सुकता बढ़ा दी है, जो अब यह देखना चाहते हैं कि परिवार का यह संघर्ष राजनीतिक मंच पर किस दिशा में जाता है।
झरिया में पिता-पुत्र की जंग
झरिया विधानसभा क्षेत्र में भी ऐसा ही एक दिलचस्प मुकाबला सामने आया है। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के प्रत्याशी मो. रुस्तम अंसारी का सामना उनके अपने बेटे सद्दाम हुसैन उर्फ बंटी से है, जिन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। रुस्तम अंसारी झरिया में जन-समस्याओं और विकास कार्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर मैदान में हैं, जबकि उनके बेटे का मानना है कि क्षेत्र को एक नई सोच और नेतृत्व की जरूरत है। यह पिता-पुत्र का संघर्ष भी राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ पारिवारिक संबंधों पर सवाल खड़ा कर रहा है।
गोमिया में पति-पत्नी आमने-सामने
झारखंड विधानसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प टक्कर गोमिया विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रही है, जहां पति-पत्नी आमने-सामने हैं। जिला परिषद अध्यक्ष सुनीता देवी ने अपने पति चितरंजन साव के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है। मंगलवार को अनुमंडल कार्यालय तेनुघाट में आठ उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया, जिनमें ये पति-पत्नी की जोड़ी भी शामिल है। सुनीता देवी का कहना है कि वे क्षेत्र में महिलाओं और कमजोर वर्ग के मुद्दों को लेकर चुनाव में खड़ी हुई हैं, जबकि उनके पति ने क्षेत्र के विकास और युवाओं की समस्याओं के समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। दोनों ने ही अपने-अपने मुद्दों के लिए जनता का समर्थन मांगा है, जिससे यह सीट बेहद दिलचस्प और रोमांचक हो गई है।
मतदाताओं की बढ़ी दिलचस्पी
रिश्तों में आयी इस राजनीति की गर्माहट से टुंडी, झरिया और गोमिया के मतदाताओं के बीच उत्सुकता चरम पर है। जहां एक ओर लोग परिवार के भीतर इस राजनीतिक संघर्ष को लेकर चर्चा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रत्याशियों के पक्ष और विपक्ष में भी राय विभाजित हो रही है।
झारखंड विधानसभा चुनावों में इस बार की यह अनोखी चुनावी बिसात राज्य में राजनीति के बदलते चेहरे को भी दर्शाती है। परिवारों में इस तरह का प्रतिस्पर्धात्मक चुनावी संग्राम कई सवाल खड़े करता है कि क्या राजनीति के मैदान में रिश्तों को दरकिनार कर केवल विकास, विचार और नेतृत्व के आधार पर मुकाबला संभव है?