नई दिल्ली।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा विषय पर आयोजित सम्मेलन को वर्चुअल संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शामिल शिक्षको को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से लागू करना हम सबकी जिम्मेवारी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने जा रही है। हमारे देश के भविष्य के निर्माण की नींव रख रहा है। उन्होंने आशा जताई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की नई आकांक्षाओं का उम्मीदो को पूरा करने का माध्यम बनेगी। नई नीति को तैयार करने में हर क्षेत्र, विद्या और भाषा के लोगों ने चार-पांच वर्षो में कड़ी मेहनत की है।
प्रधानमंत्री ने छात्रो में बढ़ते तनाव को उठाते हुए कहा कि मार्कशीट अब प्रेशर शीट और प्रेस्टीज शीट बन गई है। इस नीति का लक्ष्य दवाब को दूर कर मार्कशीट के जगह हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड पर बल दिया जाना है। उन्होंने मातृभाषा में पांचवी कक्षा तक पढ़ाने की वकालत करते हुए कहा कि शिक्षा नीति में अंग्रेजी के साथ अन्य विदेशी भाषाओ के सीखने पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने ई-5 पर जोर देते हुए कहा कि नए युग की शिक्षा का मंत्र इंगेज, एक्सप्लोर, एक्सप्रेस और एक्सलम होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने प्री स्कूनिंग में बच्चो को फन लर्निंग कराने की जरूरत बताई। शिक्षको को कहा कि बच्चो को रेलवे स्टेशन, फायर स्टेशन, अस्पताल आदि जगहो पर ले जाकर इससे संबंधित प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करने की सलाह दे।