रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने साेमवार को राष्ट्रीय खेल घोटाला मामले की सुनवाई करते हुए इसकी जांच कर भार सीबीआई को सौंप दी। इसके साथ ही अदालत में राज्य सरकार को सीबीआई जांच में सहयोग का निर्देश दिया है। मालूम हो कि 34वें राष्ट्रीय खेल के दौरान हुआ घोटाला 28.34 करोड़ रूपए का है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की सीबीआई को संसाधन और फाईल उपलब्ध कराएगी और अगर राज्य सरकार की ओर से कमी की जाती है तो इसकी सूचना हाई कोर्ट को दी जाएगी। अदालत ने सीबीआई को इस बात की भी जांच करने का निर्देश दिया है कि एसीबी के किन अधिकारियों के कारण मामले की जांच में देरी हुई है।
अदालत ने सीबीआई को इस बात की भी जांच करने का निर्देश दिया है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के किन अधिकारियों के चलते इस मामले की जांच में देरी हुई। साथ ही अदालत ने कहा कि राज्य सरकार सीबीआई को संसाधन और फाइल उपलब्ध कराएगी। अगर राज्य सरकार की ओर से कमी की जाती है तो सीबीआई हाई कोर्ट को इसकी सूचना देगी। इसके बाद अदालत इस पर आदेश पारित करेगी।
34वें राष्ट्रीय खेल के दौरान 28.34 करोड़ रुपये का घोटाला
उल्लेखनीय है कि 34वें राष्ट्रीय खेल के दौरान हुआ यह घोटाला 28.34 करोड़ रुपये का है। इसमें जरूरत से अधिक खेल सामग्री खरीदी गई थी। झारखंड पुलिस की एसीबीने 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में निगरानी थाना कांड संख्या 49/2010 दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया था। इसमें आरके आनंद, बंधु तिर्की सहित कई आरोपित किए गए थे। आरोपितों पर राष्ट्रीय खेलों से संबंधित तैयारियों, समारोह के आयोजन व वस्तुओं के क्रय में अनियमितता की पुष्टि हुई थी। इस कांड में अप्राथमिक अभियुक्त सुविमल मुखोपाध्याय, एचएल दास, प्रेम कुमार चौधरी, शुकदेव सुबोध गांधी व अजीत जोइस लकड़ा के विरुद्ध भी आरोप पत्र समर्पित करने और अभियोजन चलाने के लिए संबंधित सक्षम प्राधिकारों से अभियोजन स्वीकृति मांगी जा चुकी है। एसीबी ने इस कांड का अनुसंधान जारी रखते हुए प्राथमिकी अभियुक्त प्रकाश चंद्र मिश्र और सैयद मतलूब हाशमी के विरुद्ध नौ जनवरी 2015 को आरोप पत्र दाखिल किया था। वहीं, प्राथमिकी अभियुक्त मधुकांत पाठक के विरुद्ध 16 अप्रैल 2018 को आरोप पत्र दाखिल हुआ था।