रॉची। अलौकिक प्रकाश से सम्पन्न आत्माएँ कभी किसी के मन को पीड़ा नहीं दे सकती है। जगत की सभी समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक दरिद्रता है। दीपावली की प्रकाश पर्व अन्दर की दरिद्रता समाप्त करके ज्ञान, गुण और शक्तियों की सम्पन्नता लाने का संदेश देता है। ये बातें ब्रह्माकुमारी संस्थान हरमू रोड में आयोजित दीपोत्सव समारोह में बिरसा कृषि विश्व विद्यालय के उपकुलपति डॉ० ओंकार नाथ पाण्डेय ने कहीं।
उन्होंने कहा दीप प्रज्वलित कर हम ज्ञानरत्न धन की कामना करते हैं ताकि अज्ञान का तानस जिन्दगी से चला जाये। जीवन में ज्ञान जागृति न होने से ही मनुष्य चोरी और गुनाह अंधेरे में नजर चुराकर विकर्म करता है। मिथ्या समझ के कारण समाज में ये गलतियाँ हो रही है। ईश्वरीय ज्ञान का प्रकाश ही स्वच्छता और पारदर्शिता लायेगा। कार्यक्रम में उपस्थित मारवाड़ी सहायक समिति के अध्यक्ष अशोक नरसरिया ने कहा ईश्वरीय ज्ञान से जागृत आत्माओं के सम्पूर्ण प्रकाश में अत्याचार, शोषण व भ्रष्टाचार जैसी काली प्रवृत्तियाँ समाप्त हो जायेगी व विश्व के कोने-कोने में शांति प्रेम व भाईचारे की भावनाएँ जागृत होगी। ईश्वरीय विश्व विद्यालय सम्पूर्ण पवित्रता का ऐसा प्रकाश स्तम्भ है जिसके प्रकाश से हर मानव अपने जीवन का अधंकार हटा सकता है। कार्यक्रम में श्रीकृष्ण श्रीराधे तथा श्रीलक्ष्मी श्रीनारायण की चैतन्य झाँकी प्रदर्शित की गई।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए नंदकिशोर पाटोदिया अध्यक्ष अग्रवाल सभा एस. एस. मेमोरियल कॉलेज के डॉ० समर सिंह , सुमन सिंह पूर्व अध्यक्ष, इनर व्हील क्लब , विजयश्री साह, ने कहा वर्तमान समय का मानव धन-वैभव की लिप्सा में आत्मा के दिव्य तेज को नष्ट कर रहा है। ज्योति कुमारी, प्रवक्ता चैम्बर ऑफ कामर्स ने कहा कगल पुष्प समान अनारा बन श्री लक्ष्मी का आह्वान करने की जगह हम मिट्टी के दीप जलाते रहते हैं इसी कारण समाज की समृद्धि रूपी लक्ष्मों रूठ गयी है। ब्रहमाकुमारी संस्थान की केन्द्र संचालिका निर्मला बहन ने कहा कि आध्यात्मिक रूप से सशक्त नारी ही वर्तमान की दुर्गा और भविष्य की धन लक्ष्मी है। माया ही नरकासुर है। जिसने श्री लक्ष्मी को अपने पाश में आवद्ध किया था। तब ही परमात्मा शिव इस कलियुगी सृष्टि में अवतरित हुए तथ विकारों के कारागार में बन्द हुयी मनुष्य आत्माओं को ज्ञान और योग के साधन द्वारा मुक्त कराया है।
समारोह में शामिल नरेन्द्र अखोटिया, सामाजिक कार्यकर्ता अमरेन्द्र विष्णुपुरी, ओमप्रकाश बैरा एवं अन्य सबने एक-एक दीप प्रज्वलित कर आने वाले समय में भी आत्मदीप जागृत रखने का संकल्प एवं प्रण लिय व आसुरी अवगुणों जैसे काम, क्रोध एवं लोग का खाता बन्द कर दैवी गुण को धारण कर नया खाता खोलने की प्रतिज्ञा की।