भागलपुर। तारापुर थाना क्षेत्र के काजवलीचक मोहल्ले में गुरुवार देर रात एक पटाखा बनाने वाले आतिशबाज के घर में हुए बम विस्फोट की घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। जिस घर में धमाका हुआ उसमें शीला देवी और लीला देवी रहती थी। दोनों देवरानी जेठानी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। वही पीएम नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री से बात की है। एनडीआरएफ की टीम राहत कार्य में जुटी है।
पटना में एडीजी लॉ एंड आर्डर संजय सिंह ने कहा कि तारापुर थाना क्षेत्र में विस्फोट हुआ है। पुलिस मुख्यालय भी दावा कर रही है कि पटाखा बनाने के दौरान यह घटना हुई है।एडीजे के अनुसार भागलपुर के एसएसपी की तरफ से डिटेल जांच रिपोर्ट दी जाएगी। एडीजे ने कहा कि यह बात सही है कि इस विस्फोट की डेंसिटी काफी अधिक है। इससे आसपास के घरों को भी नुकसान हुआ है। इस मामले की जांच के लिए एक टीम बनाई गई है। कुछ दिनों पहले भी भागलपुर में विस्फोट की घटनाएं हुई थी। उस समय भी एटीएस को जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
उल्लेखनीय हो कि पीड़ित परिवार में से एक परिवार पटाखा बनाने का काम करता था। जिसके घर में पहले भी विस्फोट की घटना हो चुकी है। उसी के घर में विस्फोटक पदार्थ में विस्फोट हुआ प्रतीत होता है। यहां पर पटाखा बनाने के लिए विस्फोटक रखा गया था। विस्फोटक इतना भयावाह था कि आसपास का इलाका थर्रा उठा। लोगों को भूकंप के झटके जैसा महसूस हुआ। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि तारपुर चौक और घंटाघर के आसपास तक लोग घर से बाहर निकल आए। काजलीचक में 14 साल बाद यह विस्फोट हुई है। काजवलीचक मोहल्ले के जिस जगह गुरुवार की रात विस्फोट हुआ, उसी जगह 2008 में भी विस्फोट हुआ था। जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी।
बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजीव कुमार सिंहल ने भागलपुर की घटना पर मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि फिलहाल स्थानीय स्तर पर जांच चल रही है। आगे जरूरत पड़ी तो आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) को जांच का जिम्मा दिया जायेगा।डीजीपी संजीव कुमार सिंहल ने बताया कि बीते तीन दशक से लीलावती और उसका परिवार अवैध रूप से पटाखा बनाने का काम कर रहे थे। इस बात की जानकारी स्थानीय लोगों ने थाना को दी थी लेकिन थाना प्रभारी की लापरवाही के कारण इतनी बड़ी घटना घटी है। थाना प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। डीजीपी ने इंटेलिजेंस की कमी की बात को स्वीकारा है। उन्होंने बताया कि यह रूटीन वर्क था। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही थानेदार की ही है। फिलहाल डॉग स्कॉड-एफएसएल की टीम स्थानीय प्रशासन के साथ काम कर रही है। जरूरत पड़ी तो आतंकवादी निरोधी दस्ता (एटीएस) को भी जांच ले किए भेजा जायेगा।