Patna: शिक्षक संगठनों ने अध्यापक नियुक्ति नियमावली-2023 की विसंगतियों, दण्डात्मक कार्रवाईयों एवं मनमाने तरीके से अवकाश की कटौती के विरुद्ध में शिक्षक दिवस को प्रतिरोध दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। पटना के यूथ हॉस्टल में 15 शिक्षक संगठनों की बैठक के बाद ये फैसला किया गया कि पूरे बिहार के शिक्षक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर हाथ में काली पट्टी बांधकर स्कूलों में पढ़ायेंगे।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के राज्य सचिव मंडल ने 5 सितंबर को अपराह्न चार बजे के बाद ‘प्रतिरोध मार्च’ निकालने का फैसला किया है। शिक्षक संगठन 9 सितंबर को सारे जिला मुख्यालयों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का पुतला दहन करेंगे। इसके बाद आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय की जायेगी।
शिक्षक संघ ने केके पाठक पर आरोप लगाया कि उन्हें हिन्दु धर्म की जानकारी नहीं है। शिक्षक संगठनों ने कहा कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक सिर्फ शिक्षकों पर ही नहीं, बल्कि छात्रों पर भी जुल्म ढा रहे हैं। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून माध्यमिक विद्यालयों पर लागू नहीं होता जबकि मुख्यमंत्री को बताया जा रहा है कि इस कानून के तहत माध्यमिक विद्यालयों में 220 दिन कार्यदिवस होना चाहिए जो माध्यमिक विद्यालयों में पूरा नहीं हो रहा है। सिंह ने कहा कि हमारे माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक 220 दिन ही नहीं, 252 दिन कार्य करते हैं। इसलिए पर्वों-त्योहारों के अवकाश में कटौती करना सरासर गलत है।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष केशव कुमार ने कहा कि केके पाठक को बिहार के सरकारी स्कूलों के बारे में जानकारी नहीं है। वे कह रहे हैं कि 200 दिन पढ़ाई होनी चाहिये। सरकारी स्कूलों में शिक्षक साल में 253 दिन पढ़ा रहे हैं। केके पाठक 200 दिनों की बात कर रहे हैं। केके पाठक को छुट्टी की लिस्ट निकालने के बजाय 200 दिनों का वर्किंग डे का लिस्ट निकाल देना चाहिए। साथ ही आह्वान किया कि शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षक हाथों में काली पट्टी बांधकर प्रतिरोध दिवस मनाएंगे और बच्चों को बताएं कि कैसे सरकार गरीब बच्चों को पढ़ने नहीं दे रही है।
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के संयोजक राजू सिंह ने कहा कि अब शिक्षक आर-पार की लड़ाई की तैयारी में हैं। पहले नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं दिया गया। अब हिंदुओं के पर्वों पर हमला किया गया है। इससे सारे शिक्षकों में आक्रोश है।