झारखंड विधानसभा के पहले चरण के चुनाव में 683 प्रत्याशियों में से 174 पर आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें से 127 प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनावी समर में उतरे इन दागी उम्मीदवारों का ब्योरा अब राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में चर्चाओं का विषय बन गया है।
पार्टीवार दागी उम्मीदवारों की संख्या
पहले चरण में 36 सीटों पर चुनाव लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 20 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 15 पर गंभीर आरोप हैं। वहीं, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 11-11 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कांग्रेस के आठ और झामुमो के सात प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
राजद के पांच में से तीन, आजसू के चार में से दो, और जदयू के दोनों प्रत्याशी भी गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, लोजपा के एक प्रत्याशी पर भी आपराधिक मामला दर्ज है।
कोड़पति प्रत्याशियों की संख्या
झारखंड इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इन 683 प्रत्याशियों में से 235 करोड़पति हैं। इन उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 2.16 करोड़ रुपये है। भाजपा के 30, झामुमो के 18, कांग्रेस के 16, राजद के चार, जदयू के दो, और आजसू एवं लोजपा के एक-एक प्रत्याशी की संपत्ति करोड़ रुपये से अधिक है।
महिलाओं पर अत्याचार और हत्या के मामले
पहले चरण में खड़े 11 प्रत्याशियों पर महिलाओं पर अत्याचार करने से संबंधित मामले भी चल रहे हैं। इसके अलावा, चार प्रत्याशियों पर हत्या और 40 प्रत्याशियों पर हत्या के प्रयास का आरोप है, जो चुनावी राजनीति में चिंता का विषय बन रहा है।
शैक्षणिक योग्यता और उम्र
चुनाव में अधिकांश प्रत्याशी पढ़े-लिखे हैं। कुल 348 उम्मीदवारों ने स्नातक या उससे अधिक की डिग्री प्राप्त की है, जबकि 308 प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता कक्षा पांच से 12वीं तक है। केवल 18 उम्मीदवार साक्षर हैं और दो निरक्षर हैं। अधिकांश प्रत्याशियों की उम्र 41 से 60 वर्ष के बीच है, जिसमें 348 उम्मीदवार इस आयु वर्ग से हैं। 25 से 40 वर्ष के 267 और 61 से 80 वर्ष के 67 प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव में दागी उम्मीदवारों की संख्या और उनकी संपत्ति की जानकारी यह दर्शाती है कि राजनीतिक दलों में पारदर्शिता की कमी है। अब देखना यह है कि ये दागी उम्मीदवार जनता का विश्वास जीतने में सफल होते हैं या नहीं। चुनाव में जनता की भूमिका और उनके द्वारा किए गए निर्णयों पर सभी की नज़र रहेगी।