बेगूसराय। पुलिस ने चार दिन पहले हुए डा. संजय कुमार के घर में लूटकांड का खुलासा कर तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है, गिरफ्तार किए गए तीनो अपराधी पीड़ित डॉक्टर के भाई के अस्पताल में कंपाउंडर का काम करते थे। इनके पास से 4 लाख 60 हजार रूपए भी बरामद कर लिए गए है। पीड़ित डॉक्टर के घर से करीब 10 लाख रूपए की लूट हुई थी।
एसपी योगेंद्र कुमार ने शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी लेते हुए बताया कि 6 दिसंबर की रात करीब 9 बजे तीन नकाबपोश अपराधियों ने डा. संजय कुमार की श्रीकृष्ण मोहल्ला नगर स्थित आवास में हथियार का भय दिखाकर 10 लाख रूपए लूटे लिए।घटना की सूचना मिलते ही सदर डीएसपी अमित कुमार के नेतृत्व में नगर थानाध्यक्ष रामनिवास, रतनपुर सहायक थानाध्यक्ष नीरज कुमार, टाइगर मोबाइल एवं जिला सूचना इकाई की एक विशेष टीम बनाई गई थी। इस टीम ने गहन अनुसंधान करते हुए घटना में शामिल वीरपुर थाना क्षेत्र के छपकी निवासी राम सीजन महतो के पुत्र चंदन कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इसकी निशानदेही पर वीरपुर निवासी गुलशन कुमार एवं नावकोठी थाना क्षेत्र के महेशवाड़ा निवासी रितिक रोशन को गिरफ्तार किया गया।
एसपी ने बताया कि घटना का मुख्य मास्टरमाइंड रितिक रोशन तथा चंदन एवं गुलशन डॉ. संजय कुमार के भाई डॉ. अमित कुमार सिंह के हॉस्पिटल में कंपाउंडर का काम करता था। सबने मिलकर लूटपाट का षड्यंत्र रचा तथा छह दिसम्बर की रात जब डॉ. संजय अपने घर खाना खाने गए तो तीनों कंपाउंडर मुंह को ढकने के बाद हथियार लेकर पहुंच गया तथा लूटपाट किया। जबकि तीन अपराधी घर के बाहर गली में निगरानी कर रहे थे, जिसकी तलाश में छापेमारी किया जा रहा है। इन लोगों के पास से लूटे गए रकम में से चार लाख 60 हजार के अलावा तीन मोबाइल भी बरामद किया गया है। तीनों कंपाउंडर के पास कोई डिग्री भी नहीं थी।
एसपी ने बताया कि घटना के बाद पुलिस की टीम ने 40 किलोमीटर के दायरे में 20 सीसीटीवी कैमरे की छानबीन किया। जिसमें से सभी पुख्ता सबूत निकल कर सामने आए। लूटी गई रकम में से शेष रकम की बरामदगी एवं घटना में निगरानी एवं लाइनिंग का काम करने वाले अपराधियों के गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। गिरफ्तार किए गए अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि बेगूसराय में बड़े पैमाने पर हॉस्पिटल एवं क्लिनिक हैं, लेकिन यहां रखे जाने वाले नर्सिंग स्टाफ की ना तो डिग्री देखी जाती है और ना ही उनका पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता है। पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होने से जहां आपराधिक घटनाओं की आशंका बनी रहती है। वहीं, मेडिकल पैरामीटर के अनुसार डिग्री रहे रहने के कारण यह नर्सिंग स्टाफ मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं। सिविल सर्जन को भी लिखा जा रहा है कि सभी हॉस्पिटल में स्टाफ की जांच कराएं तथा गैर आपराधिक छवि के प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करें।