बगहा। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि गुरुवार को होने वाले हरतालिका तीज पर्व की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। महिलाएं पूजा पाठ से लेकर आवश्यक सामग्रियों की खरीदारी में जुटी है। हरितालिका तीज पर्व हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, जिसमें 24 घंटे निर्जला रहकर महिलाएं शिव पार्वती का आराधना करती है और पति के दीर्घायु होने की कामना करती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रिपुसूदन द्विवेदी के अनुसार हरतालिका तीज पर्व पर 14 साल बाद रवि योग बन रहा है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में व्रत और पूजन करने से सुहागिनों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। उन्होंने बताया कि पिता के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान देवी सती सह ना सकी और खुद को वहां अग्नि में भस्म कर दिया। अगले जन्म में देवी सती ने राजा हिमाचल के यहां जन्म लिया और भगवान शिव को ही पति के रूप में प्राप्त करने की तपस्या की। भगवान शिव की ही तपस्या में लीन रहने लगी। पुत्री की हालत देख राजा हिमाचल ने नारद जी से चर्चा की तो उनके कहने पर अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्णु से कराने का निश्चय किया। पर उमा विष्णु जी से शादी नहीं करना चाहती थी। इस पर उनकी सखियां उन्हें लेकर घने जंगल में चली गई । सखियों द्वारा उमा के हरण के कारण ही पर्व का हरितालिका नाम पड़ा। वहां वह तपस्या के दौरान उमा को पति के रूप में शिव प्राप्त हुए।