Ranchi : नेशनल शूटर तारा शाहदेव मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने गुरुवार को तीनों दोषियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सजा सुनायी। दोषी रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन को आजीवन कारावास (अंतिम सांस) , उसकी मां कौशल रानी को 10 वर्ष की सजा और झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद को 15 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने रंजीत कोहली पर 75 हजार और अन्य दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
इससे पूर्व 30 सितम्बर को अदालत ने तीन आरोपितों को दोषी करार दिया था। अदालत ने तीनों को आईपीसी की धारा 120बी, 496, 376(2)एन, 323, 298, 506 में दोषी पाया था। अभियोजन पक्ष (सीबीआई) के वरिष्ठ लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह ने अदालत में सजा के दौरान कहा कि यह मामला व्यक्तिगत आदमी का नहीं, समाज और देश को प्रभावित करने वाला है। इसलिए दोषियों को अधिक से अधिक सजा दी जाये। इसमें केवल दोषियों के अधिकारों को ही नहीं, बल्कि पीड़िता के अधिकारों और समाज के कष्ट को भी ध्यान में रखकर सजा सुनायी जाये।
उन्होंने अदालत में पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी बनाम सरकार के एक केस में सजा का हवाला दिया। धनंजय चटर्जी पर दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप था। इस मामले में फांसी की सजा सुनायी गयी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने सजा के दौरान कहा कि मुश्ताक अहमद न्यायिक अधिकारी रहे हैं। उनकी छवि अच्छी रही है। इसे देखते हुए कम से कम सजा दी जाये। कौशल रानी के संबंध में कहा कि उनकी उम्र 85 साल है। वह हमेशा बीमार रहती है। उनकी भूमिका भी केस में ज्यादा नहीं है। उनके कम से कम सजा दी जाये।
उल्लेखनीय है कि नेशनल शूटर तारा शाहदेव ने हिंदपीढ़ी थाने में रंजीत कोहली और उसकी मां कौशल रानी के खिलाफ 19 अगस्त, 2014 को मामला दर्ज कराया था। इसमें धर्म परिर्वतन, यौन उत्पीड़न और दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया गया था। झारखंड पुलिस ने मामले में अदालत में धारा 34/498ए के तहत रंजीत कोहली और उसकी मां कौशल रानी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
पुलिस की चार्जशीट से तारा शाहदेव संतुष्ट नहीं हुई। उसने इसका विरोध किया। इसके बाद झारखंड सरकार ने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। सीबीआई ने 22 मई, 2015 को केस दर्ज किया। सीबीआई की डीएसपी सीमा पाहुजा ने केस का अनुसंधान किया। सीबीआई ने रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उसकी मां कौशल रानी और झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद के खिलाफ 12 मई, 2015 को आईपीसी की धारा 120 बी, 496, 376,323, 298, 354ए, 506 और 498 ए के तहत चार्जशीट दाखिल किया।
दायर चार्जशीट में कहा गया कि रंजीत सिंह कोहली ने साजिश के तहत मां कौशल रानी और मुश्ताक अहमद के साथ मिलकर तारा शाहदेव से वास्तविक धर्म छिपाते हुए हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार 7 जुलाई, 2015 को शादी किया। अगले दिन निकाह पढ़ाई गई। मुश्ताक अहमद ने मेहर की रकम दी। इसके चार-पांच दिन बाद मुश्ताक अहमद के घर पर इफ्तार पार्टी में तारा शाहदेव को जबरन प्रतिबंधित मांस खिलाया गया। साथ ही हिन्दू धर्म के बारे में अनाप-शनाप बोला गया।
तारा शाहदेव के अनुसार वहां पर मुश्ताक अहमद ने उसके साथ छेड़छाड़ भी की। रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल के घर सर्च के दौरान मुस्लिम धर्म की धार्मिक पुस्तक, दीवार पर एक विशेष धर्म का पोस्टर और कई पैकेट कंडोम, वीवीआईपी (कार की लाइट) बरामद किये गये थे। इसके अलावा तारा को कुत्ता से कटवाया गया था। मामले में आरोपितों के खिलाफ दो जुलाई, 2018 को अदालत ने आरोप का गठन किया था। सीबीआई की ओर से 26 गवाहों का बयान कलमबद्ध कराया गया था।
ये सजा अन्य लड़कियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा : तारा शाहदेव
नेशनल शूटर तारा शाहदेव ने कहा कि ये सजा अन्य लड़कियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि आज नौ वर्ष बाद न्याय मिला है। वे गुरुवार को रांची सिविल कोर्ट में पत्रकारों से बातचीत कर रही थी। उन्होंने कहा कि सजा सुनने के बाद बहुत सुकुन मिल रहा है। सीबीआई ने बहुत अच्छा काम किया। इससे देश में पीड़ितों को न्याय पर और ज्यादा भरोसा बढ़ेगा। मुझे आज भी याद है कि रकीबुल ने कहा था कि तुम कहां जाओगी, कहां तुम्हें न्याय मिलेगा लेकिन अदालत के फैसले से मैं संतुष्ट हूं। इसके लिए उन्होंने अदालत और सभी साथ देने वालों का आभार जताया।
दूसरी ओर सिविल कोर्ट में तारा शाहदेव मामले में फैसला सुनने के लिए क्या आम, क्या खास सभी लोग बेताब थे। हर कोई सुबह से ही फैसले का इंतजार कर रहा था। फैसला आने के बाद लोग काफी खुश दिख रहे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात था।