Ranchi: भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के एकांतवास के बाद शनिवार को नेत्रदान के बाद भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ बाहर आए तो भक्त भाव-विभोर हो उठे। वैदिक मंत्रोच्चारण व जय जगन्नाथ के जयघोष के बीच भक्तों ने प्रभु का भव्य स्वागत किया। भगवान का एकांतवास खत्म होने की खुशी में 108 दीपों से भगवान की मंगल आरती, जगन्नाथ अष्टकम, गीता के द्वादश अध्याय का पाठ और भगवान की स्तुति हुई। मालपुआ सहित अन्य मिष्ठान्नों का भोग लगाया गया। भगवान रात नौ बजे तक भक्तों को दर्शन मंडप में दर्शन देंगे। प्रभु जगन्नाथ आज यहीं रात्रि विश्राम करेंगे।
रांची में रविवार को रथ यात्रा है। सुबह चार बजे से ही भक्त भगवान की पूजा करने के लिए कतारबद्ध होने लगेंगे। दोपहर दो बजे के बाद भगवान जगन्नाथ, भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा को बारी-बारी से रथ पर बैठाया जाएगा। रथ पर ही भगवान के सभी विग्रहों का शृंगार होगा। इस दौरान विष्णु सहस्रनाम अर्चना और मंगल आरती होगी।
मंगल आरती के बाद रथ में रस्सा बंधन होगा और शाम पांच बजे रथयात्रा शुरू होगी। सभी भक्त रथ की रस्सी खींचकर रथ को मौसीबाड़ी तक ले जाएंगे। मौसीबाड़ी में महिलाएं रथ पर भगवान की पूजा करेंगी। शाम सात बजे तक सभी विग्रहों को मौसीबाड़ी में रखा जायेगा। आरती और भोग निवेदन किया जायेगा। रात आठ बजे भगवान का पट बंद कर दिया जायेगा।
सोमवार को सुबह पांच बजे पट खुलेगा और प्रभु भगवान की पूजा होगी। सुबह छह बजे मंगलआरती व बाल भोग लगाया जायेगा। दोपहर 12 बजे अन्न भोग लगाया जायेगा। दोपहर 12:10 बजे पट बंद हो जायेगा। तीन बजे मंदिर का पट फिर से खोल दिया जाएगा। रात के आठ बजे तक भक्त भगवान के दर्शन कर सकेंगे। शाम 7:30 बजे आरती व भोग निवेदन होगा। इसके बाद रात आठ बजे पट को बंद कर दिया जायेगा। यह क्रम 16 जुलाई तक चलेगा। 16 जुलाई को रात में भगवान को गुंडिचा भोग लगाया जायेगा। खीर, खिचड़ी और सब्जी का भोग लगेगा। 17 जुलाई को घुरती रथ यात्रा होगी। भगवान मौसीबाड़ी से अपने मंदिर में आकर विराजमान हो जाएंगे।