Ranchi: साइबर अपराधियों ने सीबीआई अधिकारी बनकर सदर थाना क्षेत्र के दीपाटोली में रहने वाले एक डॉक्टर को 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 30 लाख रुपये ठग लिये। इस संबंध में गुरुवार को डॉक्टर ने सीआईडी की साइबर थाना में मामला दर्ज कराया है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली सीबीआई के अधिकारी बनकर साइबर अपराधियों ने सदर थाना क्षेत्र के दीपाटोली में रहने वाले डॉक्टर गोपाल को फोन किया। साइबर अपराधियों ने डाॅक्टर का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में आने की बात कहकर उन्हें धमकाया और डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट किया। साइबर अपराधियों ने कहा कि मामले की जांच होने तक उन्हें घर पर ही अरेस्ट किया जा रहा है। इसके बाद फोन पर ही डॉक्टर से उनके बैंक की पूरी डिटेल ली गयी। इस दौरान उनके बैंक खाते से 30 लाख रुपये निकल गए। अगले दिन जब डॉक्टर को बैंक खाता से राशि निकासी की जानकारी मिली, तब उनकी समझ आया कि वे साइबर ठगी के शिकार हाे चुके हैं। गुरुवार काे डाॅक्टर गाेपाल साइबर थाना पहुंचे और मामला दर्ज कराया। साइबर थाना पुलिस पूरे मामले की जांच पड़ताल कर रही है।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट के जरिये साइबर ठग नकली पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी बनकर लोगों को ऑनलाइन धमकी देते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। इस दौरान साइबर अपराधी वीडियो कॉलिंग के जरिये अपने शिकार पर नजर रखते हैं। इस दाैरान अपराधी अपने शिकार काे कहते है कि उनके पैन और आधार का इस्तेमाल कर कई चीजें खरीदने और मनी लॉन्ड्रिंग की गयी है। अपराधी वीडियो कॉल के दाैरान वे अपने शिकार को सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान उन्हें किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती है। इस दौरान जमानत के नाम पर अपराधी पैसे भी मांगते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि रांची में चार माह के भीतर आधा दर्जन से अधिक इसी तरह के डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ चुके हैं। इन लोगों से साइबर जालसाजों ने तीन करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार पिछले चार महीने में ही केवल रांची से ही आठ लोगों से ठगी की गई है। एक महीने के भीतर रांची के अभिजीत चटर्जी और प्रमोद कुमार नामक व्यक्ति को भी डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का शिकार बनाया है। दोनों से साइबर अपराधियों ने 62 लाख की ठगी की थी।