Patna: बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार के द्वारा शराबबंदी पर सर्वे कराए जाने के निर्णय पर सवाल उठाया है। कहा है राज्य में सभी राजनीतिक दल शराबबंदी के पक्ष में हैं तब फिर एक बार शराबबंदी पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना पैसे की बर्बादी है। यदि सर्वेक्षण कराना ही था तो जातीय गणना के सर्वेक्षण में ही शराबबंदी से जुड़े प्रश्नों को शामिल किया जा सकता था।
बयान जारी करते हुए शनिवार को सांसद ने कहा कि भाजपा ने हमेशा शराबबंदी का समर्थन किया है परंतु इसके क्रियान्वयन में सरकार पूर्णतया विफल है। खुले आम शराब बिक रही है। होम डिलीवरी हो रही है। थानों और प्रशासन की अवैध कमाई का जरिया शराबबंदी बन चुका है। उन्होंने ने कहा कि शराबबंदी के बावजूद गांव-गांव अवैध शराब का निर्माण चल रहा है। अन्य राज्यों से अवैध शराब के व्यापार को सरकार रोक नहीं पाई है। अन्यथा 2 करोड़ 16 लाख लीटर शराब जिसमें 75 लाख लीटर देसी शराब अभी तक जप्त की जा चुकी है, सरकार बताये ये कहाँ से आई है?
सुशील मोदी ने कहा कि 6 लाख 27 हजार लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं जिसमें 80% जमानत पर हैं। परंतु मात्र 1,522 लोगों को ही सजा हो पाई है जो कुल गिरफ्तारी का 0.0002% है।उन्होंने ने कहा कि सर्वेक्षण में कौन कहेगा कि शराबबंदी गलत है फिर इस पर अरबों खर्च करने का क्या औचित्य है? बिहार को प्रतिवर्ष शराबबंदी से 10 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। अभी तक सरकार इसकी क्षतिपूर्ति का विकल्प खोज नहीं पाई है।