Patna: बिहार में नीतीश सरकार की जाति आधारित गणना पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश दिया है कि गणना को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। इसके पहले हाई कोर्ट में मामले को लेकर दो दिन तक सुनवाई हुई थी। इसके बाद चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस फैसले के बाद नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है।
दूसरी ओर जातीय गणना पर मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा कि जाति आधारित गणना सर्वसम्मति से कराई जा रही है। हम लोगों ने केंद्र सरकार से इसकी अनुमति ली है। हम पहले चाहते थे कि पूरे देश में जाति आधारित जनगणना हो लेकिन जब केंद्र सरकार नहीं मानी तो हम लोगों ने जाति आधारित गणना सह आर्थिक सर्वे कराने का फैसला लिया।
बीते 24 अप्रैल को ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पटना हाई कोर्ट जाने को कहा था। इसके बाद 2 और 3 मई को हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी। मामले में बीते सोमवार को पहली सुनवाई होनी थी लेकिन सरकार की ओर से किए गए काउंटर एफिडेविट रिकॉर्ड में नहीं होने के कारण हाई कोर्ट ने सुनवाई को मंगलवार के लिए टाल दिया।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अपराजिता सिंह और हाई कोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार को जातीय गणना को असंवैधानिक करार देने के लिए हाई कोर्ट में दलीलें पेश करनी थीं। एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) पीके शाही ने सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने एडवोकेट जनरल से पूछा कि जाति आधारित गणना कराने का उद्देश्य क्या है? इसको लेकर क्या कोई कानून बनाया गया है? जवाब में पीके शाही ने कहा कि दोनों सदन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर जातीय गणना कराने का निर्णय लिया गया था। कैबिनेट ने उसी के मद्देनजर गणना कराने पर अपनी मुहर लगाई। यह राज्य सरकार का नीतिगत फैसला है। इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि आखिर इस जाति आधारित गणना का उद्देश्य क्या है? इसमें 500 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही जा रही है लेकिन इसका परिणाम क्या होगा और किसे फायदा होगा। सरकार यह बताए कि समाज में जाति प्रथा को खत्म करने की बात लगातार कही जा रही है लेकिन जातीय गणना कराकर किसे फायदा पहुंचाया जा रहा है? इसका जवाब सरकार दे।
संविधान के अनुच्छेद-37 का हवाला देकर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह अपने नागरिकों के बारे में जानकारी प्राप्त करे ताकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि जाति से कोई भी राज्य अछूता नहीं है। जातियों की जानकारी के लिए पहले भी मुंगेरीलाल कमीशन का गठन हुआ था। बिहार सरकार की ओर से गणना असंवैधानिक है।
सरकार के पास डेटा नहीं
एडवोकेट जनरल पीके शाही ने यह भी कहा कि सरकार के पास वंचित समाज और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कोई डाटा नहीं है। लिहाजा जातिगत आंकड़े जरूरी हैं। उन्होंने यह भी दलील दी है कि यह कास्ट सेंसस नहीं है। यह जातीय गणना सह आर्थिक सर्वेक्षण हैं। महाधिवक्ता से याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि आपका निर्णय राजनीति से प्रेरित है। राजनीतिक फायदे के लिए यह सब हो रहा है। इसके जवाब में महाधिवक्ता ने कहा कि हर सरकार राजनीति के तहत कार्य करती है। वोट बैंक के लिए होती है। हर राज्य और केंद्र की सरकार वोट बैंक के लिए ही योजना बनाती है। किसी भी सरकार के कार्यों को वोट बैंक से दूर नहीं कहा जा सकता है। पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मुख्यमंत्री के साथ बैठकर हाई कोर्ट के आदेश पर आगे की रणनीति तय करेंगे : तेजस्वी
पटना हाई कोर्ट द्वारा जाति आधारित जनगणना पर गुरुवार को तत्काल प्रभाव से रोक लगाए जाने के बाद बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि कोर्ट के आदेश को पहले समझेंगे। फिर मुख्यमंत्री से बैठकर बात करेंगे और तय करेंगे कि आगे क्या करना है।
डिप्टी सीएम ने कहा कि हमारी सरकार जाति आधारित सर्वे कराने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है और कराएगी। गरीबी, बेरोजगारी हटाने एवं जनकल्याणकारी नीतियां बनाने के लिए सरकारों को वैज्ञानिक आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इसके लिए ही हमारी सरकार सभी जातियों और वर्गों को सम्मिलित कर जाति आधारित सर्वे करवा रही है। केंद्र हमारे साथ सौतेला व्यवहार करती है। हम अपने पिछड़े लोगों को आगे लाने के लिए कुछ करना चाहते हैं तो भाजपा वाले सवाल उठाते हैं।
नीतीश कुमार की गलतियों की वजह से हाई कोर्ट ने रोक लगाई है – भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार नहीं चाहते कि जातीय गणना हो। नीतीश कुमार की गलतियों की वजह से हाई कोर्ट ने रोक लगाई है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि यह हाई कोर्ट का अंतरिम फैसला है। इसे फाइनल नहीं माना जाना चाहिए। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि सरकार फैसले का अध्ययन करेगी और आगे कौन सा कदम उठाया जाए, इस पर विचार करेगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि सोच-विचार कर बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना का फैसला लिया था। दूसरे प्रदेशों में भी जाति आधारित गणना हुई है। इस पर इतनी हाय-तौबा क्यों? भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि कोर्ट का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। बिहार में 1931 के बाद जाति गणना नहीं हुई है।