Patna: बिहार में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा को लेकर बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में सोमवार को विपक्षी भाजपा ने जोरदार हंगामा किया। इस वजह से आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधान परिषद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए अपना रास्ता बदलना पड़ा। विधानसभा के बाद जैसे ही विधान परिषद की कार्यवाही शुरू हुई तो विरोधी दल के सदस्यों ने हिंसा को लेकर भारी हंगामा शुरू कर दिया। विधान परिषद के बाहर भी भाजपा के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया। हंगामे के बीच सीएम नीतीश परिषद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए पहुंचे, लेकिन भाजपा का हंगामा देखकर उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया और दूसरे रास्ते से परिषद पहुंचे।
बिहार विधानसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे की वजह से स्थगित करनी पड़ी। दूसरी तरफ, बिहार विधान परिषद में सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो भाजपा के सदस्यों ने यहां भी जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधान परिषद की कार्यवाही में शामिल होने के लिए निकासी गेट से विधानपरिषद जाने के लिए पहुंचे, जिसके बाद कुछ देर के लिए असमंजस की स्थिति बन गई। मुख्यमंत्री अक्सर विधानसभा में मुख्य गेट से या विधानमंडल के विस्तारित भवन की तरफ से आते हैं, लेकिन आज सीएम ने भाजपा के हंगामे की वजह से रास्ता बदल लिया और वापस विधानसभा के पोर्टिको पहुंचे और वहां से परिषद के अंदर चले गए। इस दौरान नीतीश भाजपा के प्रदर्शन से बचते नजर आए।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार ने सासाराम-बिहारशरीफ में रामनवमी जुलूस की हिंसा का मामला सदन में उठाया
विधानसभा की कार्यवाही सोमवार को शुरू होने के साथ ही रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा के मामले को विपक्षी भाजपा ने जोरदार तरीके से सदन के भीतर उठाया, जिसके बाद सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। भाजपा के विधायक हाथों में रोस्टर लेकर सदन के भीतर पहुंचे और सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया।
भाजपा की तरफ से नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सासाराम और बिहारशरीफ में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा का मामला उठाया। भाजपा के विधायक सदन के भीतर पोस्टर लेकर पहुंचे थे और अपनी जगह से खड़े होकर सरकार पर आरोप लगाने लगे। स्पीकर के आदेश के बाद मार्शल ने भाजपा विधायकों से पोस्टर वापस ले लिये।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन को बताया कि रामनवमी के मौके पर सासाराम, बिहारशरीफ, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में हुईं घटनाएं काफी चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक थाना में शांति समिति की बैठक हुई। इस बैठक में सभी पक्ष के लोग शामिल होते हैं, फिर यह घटना कैसे हुई। सरकार इन घटनाओं को रोकने के लिए पहले से सजग क्यों नहीं थी।
विजय सिन्हा ने कहा कि जिस थाना क्षेत्र में हिंसा की घटनाएं हुई हैं, वहां के थानेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। बिहार में हिंदू समुदाय के लोग सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। जब ताजिया का जुलूस निकलता है तो उसके ऊपर कोई पत्थरबाजी नहीं होती है, लेकिन जब रामनवमी की शोभायात्रा निकलती है तो उस पर पत्थर बरसाए जाते हैं। बिहार की सरकार वोट की राजनीति में हिंदू धर्म के लोगों को अपमानित करने का काम कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार को आतंकवादियों का गढ़ बनाने की कोशिश हो रही है। सरकार तुष्टिकरण की नीति अपनाकर काम कर रही है। सासाराम में बम बनाते समय विस्फोट की घटना हुई, उसको दबाने की कोशिश की गई। उन्होंने सदन से पूछा कि राज्य सरकार आखिर कबतक अल्पसंख्यकों की मेहमान नवाजी करती रहेगी। उन्होंने कहा कि बांका के मदरसे में बम विस्फोट हुआ था, भागलपुर के नाथ नगर में बम धमाका हुआ, लेकिन सरकार के अधिकारियों ने मामले को दबाने की कोशिश की और बम को पटाखा बताया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा बोलते रहे और उनके माइक को बंद कर दिया गया।
भारी हंगामे के बीच सत्ताधारी दल के विधायक ने बिहार में हिंसा फैलाने के लिए भाजपा और आरएसएस को जिम्मेदार बताया। विधायकों का कहना था कि भाजपा और आरएसएस के लोगों ने एक सुनियोजित साजिश के तरह हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया है। कांग्रेस, माले, जेडीयू, आरजेडी समेत महागठबंधन के तमाम विधायकों ने कहा कि बीजेपी बिहार में दंगे करवा रही है, जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। रामनवमी हिंसा को लेकर सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक आमने-सामने आ गए और जोरदार हंगामे के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।