मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में सर्वे से जानकारी मिली कि 1 करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है।
Patna: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शुक्रवार को पूर्ण शराबबंदी के अध्ययन के लिए आए हुए छत्तीसगढ़ विधानमंडल दल के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने अध्ययन दल को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने को लेकर किए गए प्रयासों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 09 जुलाई, 2015 को महिलाओं के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें महिलाओं ने मांग करते हुए कहा था कि शराब बुरी चीज है, इसे बंद करायें। उस दौरान हमने कहा था कि चुनाव के बाद अगर हमारी सरकार बनी तो राज्य में हम शराबबंदी लागू करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव में जीत के बाद सरकार बनी और उसके बाद हमने 05 अप्रैल, 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी। उन्होंने कहा कि जब हम बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, उसी समय से हम शराब के खिलाफ रहे हैं। शराब का सेवन बहुत बुरी चीज है। जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने अपने कार्यकाल में बिहार में शराबबंदी लागू की थी, लेकिन उनके हटने के बाद यह खत्म हो गया।
नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार में आने के बाद से ही हम शराब के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं। शराब के कारोबार से राज्य को 5 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष राजस्व के रूप में आमदनी हो रही थी, लेकिन 10 हजार करोड़ रुपये लोगों का शराब पर खर्च हो रहा था। शराबबंदी लागू होने के बाद लोग उन पैसों का उपयोग अपनी जरूरत के लिए करने लगे। सब्जी, फल, दूध की बिक्री बढ़ी है। लोगों के खान-पान, शिक्षा, रहन-सहन में सुधार हुआ है। शराबबंदी को लेकर हमलोग लगातार अभियान चला रहे हैं। सभी जिलों में जाकर हमने लोगों से मुलाकात की, बातें की। उस दौरान एक महिला ने आपबीती सुनाते हुए बताया था कि मेरे पति पहले शराब पीते थे, काम करते थे लेकिन घर पर पैसा लेकर नहीं आते थे, घर का माहौल खराब रहता था लेकिन शराबबंदी के बाद वे जब घर आते हैं तो बाजार से सब्जी सहित अन्य सामान लेकर आते हैं, खुश रहते हैं और अब घर का माहौल अच्छा रहता है।
बिहार में 99 प्रतिशत महिलाएं तथा 92-93 प्रतिशत पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018 में सर्वे से जानकारी मिली कि 1 करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। हाल ही में चाणक्या लॉ विश्वविद्यालय, पटना के सर्वे से पता चला है कि 1 करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। बिहार में 99 प्रतिशत महिलाएं तथा 92-93 प्रतिशत पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद शराब कार्य से जुड़े हुए लोगों को काम छोड़ने पर उन्हें सतत जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से मदद दी जा रही है, जिससे वे अन्य कार्यों से जुड़ रहे हैं और अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं। वातावरण में बदलाव देखने को मिल रहा है। ताड़ी की जगह नीरा का उत्पादन शुरू कराया गया है। नीरा स्वास्थ्य के लिए अच्छी चीज है। हमने स्वयं सहायता समूह बनाया और उसका नामकरण ‘जीविका’ किया। तत्कालीन केंद्र सरकार के मंत्री जयराम रमेश बिहार आए और उन्होंने जीविका की काफी प्रशंसा की और पूरे देश में इसे ‘आजीविका’ नाम से शुरू किया गया। बिहार में 10 लाख से अधिक सहायता समूह का गठन हो चुका है, जिससे 1 करोड़ 30 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
पूरे एक वर्ष में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से हुई
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शराब पीने से होने वाले नुकसान के संबंध में अध्ययन कराकर वर्ष 2018 में सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें बताया गया कि पूरे एक वर्ष में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से हुई। 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत लोगों की मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। जितने आत्महत्या के मामले आते हैं उसमें 18 प्रतिशत आत्महत्या शराब पीने के कारण होती है। शराब पीकर गाड़ी चलाने से 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। शराब पीने से 200 प्रकार की गंभीर बीमारियां भी होती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोगों को समझाया करते थे कि शराब बुरी चीज है, इसका सेवन न करें। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट और बापू के कथन को हमने बुकलेट में छपवाया है और इसे सभी लोगों तक पहुंचवा दिया है ताकि वे जागरूक हो सकें। आपलोग भी बुकलेट को देखिएगा। शराबबंदी के साथ-साथ बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के दुष्प्रभावों की भी इसमें चर्चा है।
बिहार में शराबबंदी के अध्ययन के संबंध में आए हुए छतीसगढ़ विधानमंडल दल के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य विधायक सत्यनारायण शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पुष्पगुच्छ, अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किया। छत्तीसगढ़ से आए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मुलाकात के दौरान अपनी बात रखते हुए कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण पूर्ण शराबबंदी लागू हो सकी है। हर जगह महिलाएं शराबबंदी की प्रशंसा कर रही हैं और इसके फायदे बता रही हैं। जनता आपके अच्छे कामों की प्रशंसा कर रही है। शराबबंदी से सामाजिक और आर्थिक रूप से बदलाव हो रहा है।