बेगूसराय। संस्कृति और सामाजिक चेतना के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती 23 सितंबर को है,पर इससे यादगार बनाने के लिए यहां राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति के तत्वाधान में 18 सितंबर से जयंती सप्ताह चल रहा है। गांव के स्कूल में दिनकर की रचनाओं का पाठ कराया जा रहा है। इसमें नन्हीं स्नेहा जब कलम की ताकत का पाठ करती है ‘कलम देश की बड़ी शक्ति है, भाव जगाने वाली दिल ही नहीं दिमाग में भी आग लगाने वाली तो वहां मौजूद बुजुर्ग भी मंत्रमुग्ध हो गए।
केवल नन्हीं स्नेहा ही नहीं दिनकर के पैतृक गांव सिमरिया की दीवारें भी कविता बोल रही है। यहां के सैकड़ों बच्चे और युवा, बुजुर्ग के जुबान पर मानो दिनकर जी साक्षात विराजमान है। दिनकर की रचित कविता साहित्य की पंक्तियां धारा प्रवाह बोल पड़ते हैं। सिमरिया के प्रवेश द्वार पर पुस्तकालय के समीप दिनकर जी की पीतल की मूर्ति का दीदार हो जाता है। इसके बाद गांव की हर दीवार पर लिखी दिनकर की रचनाओं की दो चार लाइने दिख जाएंगी। इससे यहां आने वाले हर लोगों को एहसास हो जाता है कि सिमरिया के लोग ही नहीं यहां की दीवारें भी कविता बोलती है।
दिनकर की कविताओं का असर है कि सिमरिया में दर्जन से अधिक युवा कवियों की टीम है,जिसमें बीएचयू के डॉक्टर रामाज्ञा शशिधर,प्रवीण प्रियदर्शी,विनोद बिहारी, बबलू कुमार दिव्यांशु ,अनिल सिंह अकेला, संजीव फिरोज, शबनम, मनीष मधुकर, श्याम नंदन, निशाकर, केदारनाथ भास्कर, हरिओम कुमार,रामनंदन झा अकेला, नवकांत झा, रूपम कुमार ,गोविंद गोपाल, निखिल कुमार शामिल है।