नई दिल्ली।
एलएसी की स्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश भारत को मंजूर नहीं होगी। यह बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में चीन के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर कहीं। उन्होंने कहा कि हमारे जवान देश की सीमा पर चीनी सेनाओं के साथ आंख से आंख मिलाकर अडिग खड़े हैं। यह सच है कि लद्दाख में एक चुनौती के दौड़ से देश गुजर रहा है। उन्हें भरोसा है कि देश और हमारे वीर जवान इस चुनौती पर खरे उतरेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारी देश की सेना के बारे में किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। भारत हमेशा से यह मानता रहा है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता रखना आवश्यक है। मौके पर उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि देश के 130 करोड़ देशवासियों का हमारी सरकार मस्तक नहीं झुकने देगी। सरकार राष्ट्र के प्रति दृढ संकल्प है। सीमावर्ती इलाकों का विकास करने के लिए बजट बढ़ाकर पहले ही दोगुना किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मैंने खुद सीमा पर जाकर सशस्त्र बलों के जवानों का जोश और हौसला बढ़ाया है। देश के प्रधानमंत्री भी बहादुर जवानों के बीच जाकर उनका हौसला बढ़ाया है। हमारी देश की सेनाओं ने देश की रक्षा में अपने प्राण तक न्यौछावर करने में कोई कोताही नहीं बरती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं के हर जरूरत को सरकार पूरा कर रही है ताकि वे हर परिस्थिति में जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत का सीमा का प्रश्न अभी तक अनसुलझा है। चीन इतिहास के प्रमाणित परंपरागत सीमा को नहीं मान रहा है साथ ही यथास्थिति में बदलाव की एकतरफा कोशिश कर रहा है जो भारत को कतई मंजूर नहीं है। राजनाथ ने कहा कि पैन्गोंग झील के दक्षिण क्षेत्र में 29 और 30 अगस्त को एलएसी पर जो सैनिक कार्रवाई की गई थी।वो चीन की तरफ से की गई थी। उन्होंने कहा कि अरुणाचल से लगी सीमा पर लगभग 19000 वर्ग किलोमीटर जमीन को भी चीनअपना बताता रहा है। इसके अलावा भारत की लगभग 38000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर चीन अनाधिकृत कब्जा किए हुए हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि मुद्दे का पारदर्शी वाजिब और परस्पर स्वीकार्य समाधान शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए निकाला जाए। अंतिम रूप से दोनों पक्षों ने यह मान लिया है कि सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल रखना द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए नितांत जरूरी है।