पटना। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नीतीन गडकरी ने नैहट्टा प्रखंड क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित पंडुका पुल निर्माण का शिलान्यास कार्यक्रम का शुभारंभ दीप जलाकर किया। मौके पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव व अन्य मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पुल निर्माण होने से आसपास के लोग लाभान्वित होंगे। औद्योगिक, कृषि एवं डेयरी उत्पाद की बाजार तक पहुंच काफी आसान हो जाएगी। समय और इंधन की बचत होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार की समृद्धि और विकास के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे है।
नितिन गडकरी ने कहा कि बिहार की सड़क अमेरिका की सड़क से भी अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि जो मैं बोलता हूं वो 100 प्रतिशत होता है। मैं तेजस्वी जी से आग्रह करता हूं कि रोड के साथ-साथ आप जलमार्ग के प्रोजेक्टों पर तेजी से काम करें। जलमार्ग का सफर कम खर्चीला होता है। उन्होंने कहा कि मैं विकास के कामों में राजनीति नहीं करता हूं। यह देश हमारा है। इसका विकास होगा तो पूरे देश का विकास होगा। उन्होंने तेजस्वी यादव से कहा कि आप मुझसे दिल्ली में आकर अपने राज्य के सारे प्रोजेक्ट को लेकर मिलो, मैं सभी प्रोजेक्ट के लिए आपको मदद करुंगा।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है। इस क्षेत्र और देश का किसान केवल अन्नदाता न होकर ऊर्जा दाता बनें। धान की मुसल (फली) से मैं अपने यहां 80 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रहा हूं। देश का पहला मेरा ट्रैक्टर बायो-सिए डीजल पर चलता है। मेरे जीवन का सपना है कि पेट्रोल-डीजल को इस देश से निकाल देना है। बजाज कंपनी की स्कूटर जो इथेनॉल पर चलती है। चावल से इथेनॉल होगा तो इनके चावल को अच्छा भाव मिलेगा। कैमरी गाड़ी इथेनॉल पर चलती है। मिराई गाड़ी हाईड्रोजन पर चलती है, मेरी गाड़ी है जो पानी से तैयार है।
गडकरी ने कहा कि देश में 16 लाख करोड़ का पेट्रोल-डीजल आयात होता है। इससे हमें मुक्ति मिलेगी तो यह देश खुशहाल हो जायेगा। चार से पांच लाख करोड़ रुपये किसानों के पास जायेंगे। उन्होंने कहा कि 65 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है इसलिए वहां सारी सुविधाएं होनी चाहिए, जिससे गांवों की ओर युवा लौटें। इससे पलायन रुकेगा।
विकास का दूसरा नाम नितिन गडकरी : तेजस्वी
इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि लोगों को अधिक से अधिक सुविधा कैसे मिले, इसके लिए सरकार को कार्य करना है। उन्होंने कहा कि विकास का दूसरा नाम नितिन गडकरी है। ये पार्टी नहीं, विकास को देखते हैं। तेजस्वी ने कहा कि विचार धारा कुछ भी हो, किंतु कार्य करने वाले का गुणगान होता ही है। हमने इनसे बहुत कुछ सीखा है। इनके कार्यकाल में 53 आरओबी की बाधा दूर हुई है। उन्होंने मांग कि पूर्वांचल एक्सप्रेस को भागलपुर तक किया जाए। साथ ही कच्ची दरगाह से पटना एम्स तक एलिवेटेड सड़क दी जाए, ताकि जाम की समस्या से पटना को मुक्ति मिले।
तेजस्वी ने कहा कि 17 हजार का आरसीडी राज्य सरकार द्वारा केंद्र को समर्पित किया गया है, किंतु मात्र 6 हजार 900 करोड़ ही स्वीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि रोहतास अधौरा मार्ग 52 किलोमीटर को हर हाल में बनाया जाएगा, ताकि जन जाति समुदाय को मुख्य सड़क से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े दुश्मन बेरोजगारी को दूर करने का काम राज्य सरकार कर रही है। जहां देश में नौकरी घट रही है वहीं बिहार में सभी बेरोजगारों को नौकरी दी जा रही है। कुछ दिन में सभी विभागों में अधिक से अधिक नौकरी दी जाएगी। आप सरकार पर विश्वास बनाएं। हम आपका विश्वास नहीं टूटने देंगे।
50 लाख से अधिक की आबादी को होगा लाभ
पांडुका पुल निर्माण से दोनों राज्यों (बिहार-झारखंड) के 50 लाख से अधिक की आबादी को सीधा लाभ मिलेगा। रोहतास जिला अंतर्गत प्रस्तावित पुल राज्य के पंडुका से अकबरपुर एनएच-119 तक तथा दूसरा झारखंड राज्य के गढ़वा जिला के श्रीनगर कांडी होते हुए नगर उंटारी एनएच-39 जुड़ जाएगा। इससे बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ व उत्तर प्रदेश के बीच भारी वाहनों का परिचालन सुगम हो जाएगा। पुल निर्माण होने के बाद नौहट्टा के पंडुका से दो-तीन किमी की दूरी तय कर गढ़वा जिले के श्रीनगर पहुंच जाएंगे। जबकि गढ़वा मुख्यालय की दूरी 40 किलोमीटर होगी। फिलहाल झारखंड के गढ़वा जाने के लिए डेहरी से औरंगाबाद हरिहरगंज के रास्ते या फिर इंद्रपुरी बाराज के रास्ते 150 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है।
नौहट्टा और रोहतास प्रखंड से झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार सहित अन्य जिलों की दूरी करीब 120 किमी कम हो जायेगी
नौहट्टा और रोहतास प्रखंड से झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार सहित अन्य जिलों की दूरी करीब 120 किमी कम हो जायेगी। पंडुका पुल के रास्ते लोग छत्तीसगढ़ राज्य के बलरामपुर जिले के रामानुज गंज बाजार 99 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचेंगे। फिलहाल 220 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं पंडुका पुल से उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का बॉर्डर 13 किलोमीटर बाद पड़ेगा, जो फिलहाल घूमकर जाने पर 170 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।