बेगूसराय।
पति के दीर्घायु होने की कामना को लेकर मनाया जाने वाला मिथिलांचल का विशिष्ट पर मधुश्रावणी नवविवाहिताओं के अग्नि परीक्षा के साथ संपन्न हो गया। बुधवार की रात नवविवाहिताओं ने अंतिम विशेष पूजा की। इसके साथ ही शहर से गांव की गलियों में गूंजने वाले लोकगीतों के मधुर स्वर पर विराम लग गया।
अंतिम पूजा के दौरान कोहबर में गौरा और पार्वती के साथ नाग नागिन एवं भगवती विषहर की विशेष पूजा अर्चना कर नवविवाहिताओं के साथ आसपास की महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की कामना की। इसके बाद टेमी दागने की रस्म अदा की गई, जिसमें नवविवाहिताओं के अंगों पर पान के छिद्र युक्त पत्तों को रखकर उस पर जलते दिए की भांति रखी गई। इससे उनके अंगों पर फफोले निकल गए,जिसे अचल सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
पर्व के आखिरी दिन पति भी अपनी पत्नी से मिलने उसके मायके पहुंचे। शाम को पूजा संपन्न होने के बाद महिलाओं को भोजन कराया गया और पूजा का विसर्जन किया गया। शादी के बाद पड़ने वाले पहले सावन में नवविवाहिताएं अपने मायके में विशिष्ट पूजा करती हैं। मिथिलांचल में लोक आस्था का पर्व शुरू होते ही गलियां गुलजार हो रही थी। यह पर्व 28 जुलाई को शुरू हुई थी।