गोपालगंज। गोपालगंज विधानसभा के उप चुनाव में जिस बात की अंदेशा था वह सही साबित हुआ। या। यहां राजद के जीतने की संभावना थी, लेकिन इस पर लालू के साले साधु यादव की पत्नी इंदिरा देवी व अवैसी की पाटी के असलम मुखिया खेल बिगाड़ने में सफल रहे। पिछले कई चुनाव के परिणाम यही बताते है कि यहां से लालू के साले साहेब आरजेडी के गोपालगंज को बीजेपी से हथियाने के मौके पर पानी फेरते रहे है। 2020 के आम चुनाव में महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतारा था। उस समय भी साधु यादव ने चुनाव लड़कर महागठबंधन का खेल बिगाड़ दिया था। इस बार भी वह तेजस्वी को बताना चाह रहे है कि साधु के बिना गोपालगंज से महागठबंधन का प्रत्याशी का जीतना मुश्किल है।
बीजेपी के दिवंगत नेता सुभाष सिंह 2015 में गोपालगंज से बिहार विधान सभा के निर्वाचित सदस्य थे और बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे थे। वह साल 2005 से लगातार इस सीट पर जीतते आ रहे थे। उनकी मौत के बाद बीजेपी ने उनकी पत्नी कुसुम देवी को मैदान में उतारा। लगातार इस सीट पर काबिज रहे सिंह की पत्नी को सहानुभूति वाले वोट के साथ हर वर्ग के वोट लेने में सफल रही। आरजेडी ने बीजेपी के पारंपरिक वैश्य वोट बैंक में सेंध लगाने की उम्मीद में वैश्य समुदाय के एक व्यवसायी मोहन गुप्ता को मैदान में उतारा। लेकिन राजद ने शहर के वैश्य वोट भी लेने में कामयाब नहीं रही। भाजपा ने अपने वैश्य नेताओं का उतार कर अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे। बीजेपी से इस सीट को छीनने की आरजेडी की कोशिशों पर पानी फेर सकते हैं।
बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं इंदिरा ने महागठबंधन के वोटबैंक में सेंध लगाई और 8800 से ज्यादा वोट काटे। ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम के प्रत्याशी ने भी 12 हजार 214 वोट लाकर कर आरजेडी का खेल बिगाड़ दिया। बीजेपी प्रत्याशी कुसुम देवी ने आरजेडी के मोहन प्रसाद गुप्ता को महज 1789 वोटों से हराया।
महागठबंधन में शामिल जेडीयू-कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के समर्थन के बावजूद आरजेडी उम्मीदवार की हार होने का मुख्य कारण बीजेपी नहीं बल्कि गोपालगंज में आरजेडी की नैया डुबोने वाले डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव और असदुद्दीन ओवैसी हैं। 24 राउंड की काउंटिंग के बाद बीजेपी उम्माीदवार कुसुम देवी को 41.6 फीसदी यानी 70053 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे आरजेडी प्रत्याशी मोहन प्रसाद गुप्ता को भी 40.53 फीसदी यानी 68,259 मत हासिल हुए। हार का अंतर महज 1789 वोट रहा। इस सीट पर तीसरे नंबर पर असदुद्दनी ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी अब्दुल सलाम को 12 हजार 214 वोट मिले। इसके बाद बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव को भी 8854 मत हासिल हुए।