रांची।
चारा घोटाले के आरोप में जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को हाईकोर्ट ने चाईबासा कोषागार से हुई अवैध निकासी मामले में जमानत दे दी गई है। वहीं एक अन्य मामले में उन्हें जमानत नहीं मिलने के कारण फिलहाल उन्हें जेल में ही रहना होगा। शुक्रवार को हाई कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अपरेश कुमार की अदालत ने लालू प्रसाद को चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े मामले में सशर्त जमानत दे दी। मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने लालू यादव की पैरवी की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता द्वारा जमानत याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट से लालू प्रसाद यादव को जमानत नहीं देने की अपील की गई। सुनवाई के दौरान लालू के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष लालू प्रसाद के कारावास की अवधि और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत मंजूर करने का आग्रह किया गया। जिस पर कोर्ट ने लालू प्रसाद की जेल अवधि को देखते हुए माना कि उन्होंने अपनी सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है। तत्पश्चात कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत दे दी गई।अदालत ने जमानत के लिए दो लाख रुपए जमा करने को कहा है।
जमानत मिलने के बावजूद भी लालू प्रसाद को फिलहाल जेल में ही रहना होगा। चारा घोटाले मामले में ही दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में अब तक लालू प्रसाद को जमानत नहीं मिला है। दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की अदालत ने लालू प्रसाद को 7 साल की सजा सुनाई है। उस मामले में उन्हें जमानत नहीं मिला है।
उल्लेखनीय है कि चाईबासा कोषागार से 1992 93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33. 67 करोड रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में कुल 736 लोग आरोपी बनाए गए थे। जिसमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा के नाम शामिल है। आरोपी बनाए गए लोगों में केस चलने के दौरान ही 14 लोगों की मौत हो गई थी। लालू प्रसाद के जमानत को लेकर जुलाई माह में भी हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें लालू प्रसाद के बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला दिया गया था। जेल में बंद लालू प्रसाद लगभग आधा दर्जन से अधिक गंभीर असाध्य रोगों से ग्रसित हैं।