झारखंड के गुमला विधानसभा क्षेत्र के तीन गांवों चुगलू, पड़की टोली और सकरपुर के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया और मतदान केंद्र पर पहुंचने से इंकार कर दिया। सुबह 10 बजे तक, गुमला के बूथ संख्या 139 पर चुगलू और पड़की टोली के ग्रामीणों ने एक भी वोट नहीं डाला। जैसे ही प्रशासन को इस बात की जानकारी मिली, अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
सड़क और पुल-पुलिया का मुद्दा बना कारण
ग्रामीणों ने अपने इलाके में सड़क और पुल-पुलिया के निर्माण की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया था। उनका कहना था कि जब तक उनके गांवों में बुनियादी ढांचे का सुधार नहीं होगा, वे चुनाव में भाग नहीं लेंगे। प्रशासन से उनकी यह शिकायत लंबित थी, और अब तक उनकी अपीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। इससे नाराज ग्रामीणों ने एकजुट होकर चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया।
अंचल अधिकारी और प्रशासन की कोशिशें नाकाम
चुगलू और पड़की टोली के ग्रामीणों से मिलकर उन्हें समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वे अपनी मांगों पर अडिग रहे। उपायुक्त के निर्देश पर अंचल अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को मनाने की कोशिश की, लेकिन उनकी बातों का असर नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, वे वोट नहीं डालेंगे।
ग्रामीणों ने डीसी से किया था पहले ही वोट बहिष्कार का ऐलान
चुनाव से पहले ही, ग्रामीणों ने गुमला के उपायुक्त से मुलाकात की थी और उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उनकी विकास कार्यों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे विधानसभा चुनाव 2024 का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों के इस फैसले की खबर मीडिया में छपने के बाद प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझा और आला अधिकारी गांव पहुंचे, लेकिन समाधान नहीं हो सका।
सीओ और थाना प्रभारी भी रहे असफल
मतदान के दिन सीओ गुमला हरीश कुमार और थाना प्रभारी सुरेंद्र कुमार ने मौके पर जाकर ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। हालांकि, वे किसी भी तरह से उन्हें वोट डालने के लिए राजी नहीं कर सके। प्रशासन ने उपायुक्त से फोन पर बात करवाई, जिसमें उपायुक्त ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा। बावजूद इसके, ग्रामीणों ने यह शर्त रखी कि वे लिखित आश्वासन चाहते हैं। इसके बाद उपायुक्त ने सीओ से कहा कि वह ग्रामीणों को लिखित आश्वासन दें और फिर मतदान प्रक्रिया शुरू कराएं।
भारी असंतोष के बीच चुनाव में हलचल
सुबह 10 बजे तक, शक्रपुर के अलावा अन्य गांवों के लोग मतदान केंद्र पर वोट डालने नहीं पहुंचे थे। प्रशासन के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति थी, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए ग्रामीणों का सहयोग जरूरी था। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान कब तक करता है, ताकि चुनाव प्रक्रिया बिना किसी अड़चन के पूरी की जा सके