झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मंत्री और गढ़वा के विधायक मिथिलेश कुमार ठाकुर ने हनीट्रैप का शिकार होने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस संबंध में एक वीडियो संदेश जारी कर बताया कि उनके खिलाफ एक सुनियोजित साजिश रची जा रही है।
मिथिलेश ठाकुर ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि बुधवार को उन्हें एक फोन आया, जिसमें उन्होंने जैसे ही रिसीव किया, मोबाइल पर अश्लील वीडियो आने लगे। मंत्री ने बताया कि यह सब देख कर उन्होंने तुरंत फोन काट दिया और उस नंबर को ब्लॉक कर दिया।
सामाजिक मीडिया पर धमकी का आरोप
गुरुवार को, मंत्री को वीडियो कॉल करने वालों ने सोशल मीडिया पर धमकी देना शुरू किया कि यदि उन्होंने इस मामले की रिपोर्ट की या किसी को बताया, तो वीडियो को वायरल कर दिया जाएगा। यह पूरी स्थिति मंत्री के लिए बेहद परेशान करने वाली रही। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह चुनावी माहौल को प्रभावित करने की एक चाल हो सकती है।
मिथिलेश ठाकुर ने कहा, “यह एक राजनीतिक साजिश हो सकती है। मैं इस मामले में थाने में शिकायत दर्ज करवा रहा हूँ और पुलिस से अपेक्षा करता हूँ कि वे इस मामले की गहन जांच करें।” उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया, यह कहते हुए कि ऐसे प्रयासों से उनका मनोबल नहीं टूटेगा और वे अपने चुनावी अभियान को जारी रखेंगे।
सुरक्षा और राजनीतिक प्रतिशोध का प्रश्न
इस घटना ने झारखंड में राजनीतिक साजिशों और हनीट्रैप के मामलों को फिर से उजागर किया है। इससे पहले भी कई राजनीतिक व्यक्तियों पर इस प्रकार के आरोप लग चुके हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह सब सत्ता में बने रहने के लिए एक रणनीति है।
इस मामले की गहराई में जाने की आवश्यकता है, खासकर जब चुनाव नजदीक हैं। मंत्री मिथिलेश ठाकुर की स्थिति यह दर्शाती है कि राजनीतिक दुश्मनी के चलते कैसे साजिशें रची जा सकती हैं। यह मामला न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का, बल्कि राजनीतिक स्थिरता का भी है।
क्या है आगे का रास्ता?
मंत्री ने पुलिस से अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और उचित कार्रवाई करें। यह घटनाक्रम चुनावी माहौल को और अधिक गर्म करने की संभावना रखता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं और इससे जनता के मन में संदेह पैदा हो सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या यह सिर्फ एक साजिश है या फिर किसी बड़ी राजनीतिक खेल का हिस्सा। झारखंड में चुनावी मौसम की शुरुआत हो चुकी है, और ऐसे मामलों का असर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।