पटना। सीएम नीतिश मंत्रिमंडल की बैठक में 13 महत्वपूर्ण एजेंडे पर मुहर लगी है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण जातीय जनगणना को लेकर है। बैठक में जातीय जनगणना की समय सीमा दो महीने बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पास किया गया है। इसके अतिरिक्त मध निषेध के प्रचार प्रसार के लिए 25 करोड़ की आकस्मिकता निधि देने और तीन संस्थानो में 36 शैक्षणिक पदो की स्वीकृति जैसे एजेंडे को हरी झंडी दी गई है।
पहले जातीय जनगणना अगले साल फरवरी 2023 तक पूरी कर लेनी थी। अब इसे दो महीने आगे बढ़ाया गया है। इस तरह यह कार्य मई 2023 तक पूरा कराया जाएगा। जाति आधारित गणना के लिए एपीपी और पोर्टल निर्माण के लिए परामर्शी के चयन पर अनुमानित खर्च करीब 2.45 लाख रूपए बेल्ड्रान को भुगतान करने की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।
मद्य निषेध के प्रचार-प्रसार पर हुए व्यय के लिए 25 करोड़ रुपये आकस्मिकता निधि
नीतीश मंत्रिमंडल ने आज नगर विकास एवं आवास विभाग से जुड़े महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी अपनी मुहर लगाई है। मद्य निषेध विभाग के तहत मोटर बोट, भाड़े पर रखे गए वाहनों के किराया, नए चेक पोस्ट निर्माण, मोबाइल हैंड स्कैनर एवं कॉल सेंटर का टोल फ्री नंबर, मद्य निषेध के प्रचार-प्रसार पर हुए व्यय के लिए 25 करोड़ रुपये आकस्मिकता निधि से दी गई है। पटना, भोजपुर सारण एवं अन्य जिलों में अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए हाई स्पीड मोटर बोट, चेन एवं अन्य उपस्कर क्राय करने के लिए आकस्मिकता निधि से पांच करोड़ रुपये की अग्रिम की स्वीकृति दी गई ।
तीन संस्थानों में 36 शैक्षणिक पदों की स्वीकृति
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत मुजफ्फरपुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी, मुजफ्फरपुर) में बायो मेडिकल एवं रोबोटिक इंजीनियरिंग लोकनायक जयप्रकाश प्रौद्योगिकी संस्थान छपरा तथा कटिहार अभियंत्रण महाविद्यालय में फूड प्रोसेसिंग एवं प्रिजर्वेशन पाठ्यक्रम के लिए 12 अतिरिक्त शैक्षणिक पदों का सृजन किया गया है। इस तरह से तीनों संस्थान मिलाकर 36 शैक्षणिक पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है।
सभी नगर निकायों में मिली कई मंजूरी
बिहार के सभी नगर निकायों में अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन योजना के कार्यान्वयन की प्रशासनिक स्वीकृति, राज्य स्तरीय उच्च शक्ति संचालन समिति एवं राज्य स्तरीय तकनीकी समिति के गठन की मंजूरी दी गई है। साथ ही केंद्रांश की राशि 26 सौ 20 करोड़ एवं इसके अनुपातिक राज्य का 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए परियोजना लागत का 75 परसेंट, एक लाख से 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों के लिए परियोजना लागत का दो तिहाई तथा एक लाख से कम आबादी वाले शहर के लिए परियोजना लागत का 50 परसेंट राशि के व्यय की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है।