पटना।गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक पीपी जयप्रकाश मिश्र को अदालती आदेश के बाद भी उन्हें पद पर बहाल नहीं किए जाने पर पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुरुवार को नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा को अगली सुनवाई पर तलब करते हुए राज्य सरकार पर 10 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।
न्यायमूर्ति पीवी बनर्जी की एकल पीठ ने अदालती आदेश की अवमानना को लेकर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई में अधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता डॉ. सतीश चंद्र मिश्र ने हिस्सा लिया। मालूम हो कि इससे पहले कोर्ट ने विधि विभाग के संयुक्त सचिव को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने सरकारी वकील को स्पष्ट रूप से कहा था की अवमानना का मामला दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध दायर किया गया है, इसलिए इस मामले को लेकर जिम्मेदार व्यक्ति को खुद अदालत में अपना जवाब देना होगा। उसने अदालती आदेश का पालन निर्धारित अवधि में क्यों नहीं किया , कोर्ट का कहना था कि यह मामला कोर्ट और दोषी व्यक्ति के बीच का है। इसलिए कोर्ट में दोषी व्यक्ति को खुद अपना जवाब देना होगा।
गुरुवार को सुनवाई के समय कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित संचिका मुख्यमंत्री के यहां लंबित है, इसलिए इससे अदालती आदेश का पालन नहीं हो सका। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जाहिर की। इससे पहले कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर 2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र जारी करें। अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई, तो अदालती आदेश की अवमानना का मामला दायर किया गया था। जिस पर गुरुवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह निर्देश दिया। इस मामले का एक सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।