रांची।
झारखंड हाई कोर्ट में गुरूवार को ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजो के इलाज से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने चीफ जस्टिस डा. रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ को ब्लैक फंगस के पीड़ितो के लिए जारी सरकारी चिकित्सीय की जानकारी दी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है किया डॉक्टर मरीजो को सब्जियों की तरह देख रहे है। अस्पताल पैसे बनाने की मशीन बन चूके है।

महाधिवक्ता ने कोर्ट ने बताया कि मरीजो को सरकारी स्तर पर दवाईयां और इलाज को नि:शुल्क व्यवस्था है। इससे निपटने के लिए एसओपी भी तैयार की गई है। अब तक 160 मामले ब्लैक फंगस के आए है, जिसमें 101 प्रुब्ड केस है और 59 संदिग्ध मामले है। इसे बाद कोर्ट ने रिम्स निदेश से पूछा कि जिस महिला के मामले में कोर्ट ने निर्देश दिया था, उसका क्या हुआ। इस पर निदेशक ने बताया कि उस महिला की मौत हो गई है। कोर्ट ने पूछा की महिला की सर्जरी में इतनी देर क्यों हुई। कोर्ट ने कहा कि कोरोना में डॉक्टरो ने अच्छा काम किया है पर इस मामले में अनदेखी हुई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर जान की कीमत होती है। हम इस मामले में जांच चाहते है। कोर्ट ने रिम्स निदेशक से इंटरनल जांच रिपोर्ट एफिडेविट के माध्यम से मांगते हुए सरकार को इलाज की सुविधा बढ़ाने का निर्देश दिया।