झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली के सराय काले खां बस स्टैंड का नाम बदलकर ‘बिरसा मुंडा बस स्टैंड’ रखने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इस कदम को आदिवासी समुदाय के आराध्य और झारखंड के महान स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा का अपमान करार दिया और केंद्र सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
“यह अपमान नहीं तो और क्या?” – हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बस स्टॉप और चौक, जो अब बिरसा मुंडा के नाम से पहचाना जाएगा, उनका अपमान नहीं तो और क्या है? उन्होंने सवाल किया कि क्या राजधानी दिल्ली में भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान और आदिवासियों की आस्था के अनुरूप कोई और उपयुक्त स्थान नहीं था? सोरेन ने यह भी पूछा, “क्या सेंट्रल विस्टा का नाम हमारे भगवान के नाम पर नहीं रखा जा सकता था?”
आदिवासियों का अपमान: झारखंड और देशभर के आदिवासी समुदाय की भावनाओं को ठेस
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ झारखंडियों ही नहीं, बल्कि देशभर के आदिवासियों और मूलवासियों का अपमान है। उन्होंने केंद्र सरकार से यह आग्रह किया कि इस कदम को तुरंत वापस लिया जाए और भगवान बिरसा मुंडा को उनके सम्मान और प्रतिष्ठा के अनुरूप कोई और स्थान प्रदान किया जाए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के मौके पर सराय काले खां बांसेरा पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया था। यह अवसर बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर मनाया जा रहा था। इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा था, ताकि आदिवासी समाज की गौरवमयी इतिहास को सम्मानित किया जा सके।
कौन हैं बिरसा मुंडा?
बिरसा मुंडा झारखंड के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता थे, जिनका जन्म 15 नवंबर 1875 को खूंटी जिले के उलिहातू गांव में हुआ था। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष में आदिवासियों को एकजुट किया और उलगुलान (विद्रोह) की अगुआई की। उनका आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष आज भी प्रेरणा का स्रोत है।