.शबनम और उसके प्रेमी को 7 लोगों के सामूहिक हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है
बक्सर।
आजाद भारत की पहली महिला कैदी शबनम को उसके प्रेमी के साथ दी जाने वाली फांसी के लिए बक्सर केंद्रीय कारा में फंदा बनकर तैयार है। सरकारी आदेश के बाद दो फंदे को केंद्रीय कारा में तैयार किया गया है। जिसे मथुरा और आगरा के जेलों में भेजा जाना है। फांसी की तिथि का ऐलान होते ही फंदो को कड़ी निगरानी में भेज दिया जाएगा। सिद्ध हस्त कारीगरों ने केंद्रीय कारा में दो फंदे मलीने के सूत से तैयार किया है।
मालूम हो कि हाल के वर्षों में निर्भया कांड के अभियुक्तों के लिए भी यही फंदे बने थे। अब शबनम और उसके प्रेमी सलीम के लिए फंदे तैयार हैं। मालूम हो कि शबनम और उसके प्रेमी को 7 लोगों के सामूहिक हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। राष्ट्रपति के सम्मुख दया याचिका भी खारिज हो चुकी है। लिहाजा दोनों को फांसी दिया जाना तय है।शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के संग मिलकर वर्ष 2008 में अपने परिजनों की हत्या कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि आजाद भारत में बक्सर केंद्रीय कारा को ही फंदा तैयार करने का हक दिया गया है। इसकी अलग दास्तान है। गंगा और ठोरा नदियों के संगम पर वर्ष 1861 में बनाए गए इस जेल को मुल्त: 1857 के विद्रोहियों के लिए बनाया गया था। आजादी के बाद बक्सर जेल को एक अलग पहचान मिली। जब तत्कालीन बंदी दो भाइयों सुखदेव और हरिदेव ने फ्रांस के मनीला से आयातित कपास से फांसी का फंदा बनाया था। फंदे की विशेषता इस कदर होती है कि यह इतना मुलायम और सख्त होता है कि फांसी के तख्ते पर झूलने वाले शख्स के गले पर निशान नहीं पड़ता है। आज भी यहां के सिद्धहस्त कारीगर फांसी का फंदा तैयार कर रहे हैं।