चंडीगढ़
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार एवं किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध के बीच नाराज किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का एवं दिल्ली सीमा को सील करने का ऐलान किया है। कृषि कानून के विरोध में देश भर के किसान संगठनों द्वारा 5 दिसंबर को केंद्र सरकार व कारपोरेट घरानों का पुतला फूंका जाएगा। वही 7 दिसंबर को देशभर के सेना के जवान और अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अपने मैडल लौटाएगें। यह फैसला शुक्रवार को सिंधु बॉर्डर पर आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसान संगठनों द्वारा लिया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य मीडिया से रूबरू हुए। मौके पर यूनियन के हरेंद्र सिंह ने बताया कि गुरुवार को केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में किसानों ने दो टूक कहा कि किसानों को कृषि कानूनों में संशोधन किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। सरकार लोकसभा का विशेष सत्र बुलाकर कृषि कानूनों को रद्द करें। हरेंद्र सिंह ने कहा कि बातचीत के दौरान केंद्र सरकार 9 बिंदुओं पर संशोधन के लिए राजी हुई। केंद्र सरकार ने माना कि कई बिंदुओं में खामी है। बातचीत के दौरान सरकारी बिजली व पराली बिल को वापस लेने के लिए सरकार तैयार हुई तो एमएसपी पर कानून के लिए भी राजी हो गई थी। पहले सरकार कृषि कानूनों को बढ़िया बता रही थी लेकिन जब किसान संगठन बिंदुवार खामियां गिनाई तो सरकार ने माना कि कुछ बिंदुओं पर खामियां हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसान संगठनों ने आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय की। उन्होंने कहा कि यदि सरकार 5 दिसंबर को बैठक के दौरान कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो फिर आर-पार की लड़ाई होगी। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि शनिवार को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर फसल गारंटी की मांग रखी जाएगी। किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया कि पूरे देश के किसान आंदोलन के साथ जुड़ गए हैं। कर्नाटक के किसान 7 से 15 दिसंबर तक विधानसभा के सामने धरना देंगे। वहीं पश्चिम बंगाल में किसान शनिवार को रास्ता रुकेंगे तो महाराष्ट्र के 8 संभागों पर किसान का निरंतर धरना चलेगा।