विवेक दा उर्फ प्रयाग माँझी, उर्फ फुचना, उर्फ नागो मांझी का अंत

Bokaro News: झारखंड के बोकारो जिले में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। झारखंड पुलिस के साथ सोमवार को हुई मुठभेड़ में एक करोड़ का इनामी नक्सली विवेक दास उर्फ प्रयाग मांझी सहित आठ नक्सली मारे गए। पुलिस मुख्यालय के अनुसार, यह मुठभेड़ बोकारो के लुगू पहाड़ की तलहटी में सोसो टोला के निकट हुई। इसमें आठ नक्सली मारे गए । नक्सलियों में से कई के इनामी होने की भी सूचना है। मुठभेड़ एक करोड़ के इनामी नक्सली विवेक के दस्ते के साथ हुई है। मुठभेड़ के बाद भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक भी बरामद किए गए। इनमें से तीन की पहचान हो गई है जबकि अभी पांच की शिनाख्त होना बाकी है।सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से चार इंसास राइफल, एक एसएलआर, एक रिवॉल्वर और दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की है।
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि सुरक्षाबलों और पुलिस के साथ आज सुबह 5:30 बजे के आसपास शुरू किए गए एक विशेष संयुक्त अभियान ‘डाकाबेड़ा‘ में नक्सलियों के साथ कई बार मुठभेड़ हुई, जिसमें अब तक आठ नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से तीन की शिनाख्त हो चुकी है। शेष पांच मृत नक्सलियों की अभी पहचान नहीं हो सकी है। इस इलाके में अभी सर्च अभियान जारी है। उन्हाेंने बताया कि मुठभेड़ में मारे गए जिन तीन नक्सलियों की पहचान हुई है। उनमें केंद्रीय कमेटी सदस्य एक करोड़ का इनामी विवेक उर्फ प्रयाग मांझी, स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य अरविंद यादव और जोनल कमेटी मेंबर 10 लाख का इनामी साहब राम मांझी शामिल है। विवेक उर्फ प्रयाग मांझी को नक्सल संगठन में विवेक दा उर्फ फुचना उर्फ नागो मांझी के नाम से जाना जाता था।
डीजीपी ने बताया कि संयुक्त ऑपरेशन ‘डाकाबेड़ा’ अभियान गुप्त सूचना के आधार पर 209 कोबरा बटालियन, बोकारो पुलिस, झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ के संयुक्त सहयोग से चलाया गया। यह अभियान नक्सल संगठन भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाकर चलाया गया था।
झारखंड पुलिस के मोस्ट वांटेड की लिस्ट के दूसरे नंबर में नागो मांझी का नाम था । बोकारो के लुगु पहाड़ी में हुए मुठभेड़ में प्रयाग मांझी उर्फ विवेक का खात्म सुरक्षाबल ने कर दिया। एक करोड़ के इनामी इस नक्सली नेता की मौत को नक्सल विरोधी अभियान की सबसे बड़ी जीतों में से एक माना जा रहा है। पिछले दो दशकों से प्रयाग मांझी झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में माओवादियों का बड़ा चेहरा था।
” प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा?कहां का था मूल निवासी? क्यों था इतना खतरनाक? नक्सल मुक्त होगा पारसनाथ? “
प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा, जिसे फुचना, नागो मांझी और करण दा जैसे कई नामों से जाना जाता था, भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। वह संगठन के लिए रणनीतिक और सैन्य मोर्चे पर काम करता था और हाल ही में झारखंड के पारसनाथ क्षेत्र की कमान उसे सौंपी गई थी, ताकि नक्सली गतिविधियों को फिर से संगठित किया जा सके। विवेक दा धनबाद जिले के टुंडी थाना क्षेत्र के दलबुढ़ा गांव का रहने वाला था, लेकिन उसकी सक्रियता का क्षेत्र सीमित नहीं था। वह झारखंड के गिरिडीह, बोकारो, लातेहार से लेकर बिहार, बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तक फैले नक्सली बेल्ट में संगठन के लिए वर्षों तक सक्रिय रहा। उसके खिलाफ केवल गिरिडीह में ही 50 से अधिक मामले दर्ज थे।
शातिर दिमाग का धनी माओवादी संगठन में उसकी पहचान एक तेजतर्रार रणनीतिकारो की थी।
विवेक हथियारों का विशेषज्ञ उसके दस्ते के पास एके -47, इंसास राइफल और कई विस्फोटक मौजूद थे।
विवेक का मजबूत नेटवर्क था। उसके साथ सक्रिय 50 से अधिक नक्सली, जिनमें महिला माओवादी भी थीं, अलग-अलग इलाकों में फैले थे।
संगठन में उसकी पकड़ मजबूत थी । उसकी तूती केवल झारखंड में नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी भारत के नक्सल बेल्ट में बोलती थी।
पारसनाथ में फिर से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की थी। इसको लेकर पुलिस और केंद्रीय बलों ने एक बड़े अभियान की योजना बनाई थी। बोकारो के लुगू पहाड़ क्षेत्र में हुए इस एनकाउंटर में उसे मार गिराया गया। उसके साथ-साथ कई अन्य इनामी नक्सली भी ढेर किए गए हैं, जिनमें अरविंद यादव (10 लाख का इनामी) का नाम भी शामिल है।
विवेक दा की मौत से भाकपा माओवादी संगठन को एक बड़ा झटका लगा
विवेक दा की मौत से भाकपा माओवादी संगठन को एक बड़ा झटका लगा है। पारसनाथ में मजबूत होते माओवादी नेटवर्क की कमर टूट गई है। अब सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि नक्सल गतिविधियों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।
झारखंड पुलिस मुख्यालय के अनुसार, नक्सलियों के एक बड़े दल के इलाके में ठहरने की सूचना पर अभियान के लिए निकले सुरक्षा बलों पर नक्सलियों ने फायरिंग की। इसके बाद जवाबी हमले में झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ फायरिंग की। मुठभेड़ में विवेक के कई साथियों के साथ मारा गया। जानकारी के अनुसार जंगल से 8 नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। सभी की पहचान की कोशिश की जा रही है।
आत्मसमर्पण करें नक्सली, नहीं तो गोली खाने को रहें तैयार : डीजीपी
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि भाकपा माओवादी विवेक उर्फ प्रयाग मांझी (केंद्रीय कमेटी सदस्य), सहदेव सोरेन (केंद्रीय कमेटी सदस्य) एवं अन्य 20 से 25 सशस्त्र माओवादियों की सूचना पर संयुक्त बलों के जरिए अभियान चलाया गया जिसमें पुलिस को यह सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद सेंट्रल कमिटी मेंबर एक करोड़ इनामी सहित आठ नक्सलियों के मारे जाने की घटना ऐतिहासिक है। इसे झारखंड के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि कहा जा सकता है।
झारखंड पुलिस मुख्यालय में डीजीपी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) में बलिदान हुए जवान का हमने बदला ले लिया है। अब हमारा पूरा फोकस चाईबासा में नक्सलियों को खत्म करने पर रहेगा। उन्होंने कहा कि नक्सली आत्मसमर्पण करें, नहीं तो गोली खाने के लिए तैयार रहें। बहुत जल्द ही झारखंड से नक्सलियों का सफाया कर दिया जायेगा। इससे पूर्व तीन अप्रैल 2023 को चतरा पुलिस ने पांच इनामी नक्सलियों को मार गिराया था, जिनमें दो स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य भी थे। दोनों पर 25-25 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा तीन सब जोनल कमांडर मारे गये थे, जिन पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था। यानी इन पर कुल इनाम की राशि 65 लाख रुपये थी।