.आदिवासियों के पहचान के अधिकार के लिए केंद्र सरकार जल्द लागू करें सरना धर्मकोड- तिर्की
रांची।
सरना धर्म कोड लागू किए जाने की मांग को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान, केंद्रीय सरना समिति और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा संयुक्त रूप से रविवार को चक्का जाम किया गया। चक्का जाम के दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने गंगा घाट रेलवे स्टेशन के पास रेलमार्ग को करीब डेढ़ घंटे तक जाम रखा। इससे आम यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। इसके अलावा कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर सड़क पर भी वाहन रोकने का प्रयास किया। लेकिन वहां मुस्तैद पुलिस कर्मियों ने लोगों को समझा-बुझाकर वहां से हटा दिया। मौके पर कार्यकर्ता सरना कोड लागू करने की मांग कर रहे थे। सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने बताया कि रेल मार्ग को शांतिपूर्ण तरीके से जाम किया गया। उन्होंने कहा कि वर्षों से आदिवासी अपनी पहचान, हक, अधिकार के लिए सरना धर्म कोड के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके परिणाम स्वरूप ही झारखंड सरकार के द्वारा विशेष सत्र बुलाकर सरना आदिवासी धर्म कोड संकल्प पत्र विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है। केंद्रीय सरना समिति अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद एवं आदिवासी सेंगल अभियान केंद्र सरकार को 30 नवंबर तक सरना कोड को लागू किए जाने को लेकर अल्टीमेटम दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर किसी तरह की पहल नहीं की है।
सरकार स्तर से आदिवासी समाज के साथ वार्ता करने की भी पहल नहीं की गई है। इससे बाध्य होकर आदिवासी समाज पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 6 दिसंबर को चक्का जाम किया ताकि केंद्र सरकार आदिवासियों के संवैधानिक मांग पर विचार करें। चक्का जाम अभियान को सफल बनाने के लिए अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा, केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की, केंद्रीय सरना समिति के उपाध्यक्ष प्रशांत टोप्पो, सुरज तिग्गा, महिला शाखा अध्यक्ष नीरा टोप्पो, विनय उराव सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। इधर चक्का जाम को लेकर एसपी सुरेंद्र झा ने बताया कि चक्का जाम को लेकर सुरक्षा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।