Patna: जदयू से बगावत कर नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को बिहार विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बिहार विधान परिषद के सभापति ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। इस्तीफे के बाद उन्होंने कहा कि यह कुर्सी लोगों की सेवा के लिए नहीं रह गई थी। सभी जानते हैं कि कुशवाहा किसी का एहसान लेकर राजनीति नहीं करता। इसलिए मैंने पद से इस्तीफा दे दिया है। मैं जमीर बेचकर अमीर बनने वालों में से नहीं हूं। हमने जिस दिन अपनी पार्टी की घोषणा की थी, उसी दिन हमने कहा था कि विधान परिषद की भी सदस्यता से इस्तीफा देंगे। निर्णय मेरा उसी दिन का था कुछ औपचारिकता बाकी थी। उस दिन सभापति देवेश चंद्र ठाकुर यहां नहीं थे। हमने उनसे संपर्क किया। आज का वक्त निर्धारित हुआ और उसके अनुसार मैंने उनको जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया।
नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी, “त्वदीयं वस्तु तुभ्यमेव समर्पये।” आज मैंने विधान परिषद् की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। मन अब हल्का है। चक्रव्यूह से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति हो रही है। याचना का परित्याग कर रण के रास्ते पर निकल पड़ा हूं। उन्होंने कहा कि किसी की कृपा के तले व्यक्तिगत सुख-सुविधा के लिए वो राजनीति नहीं कर सकते हैं।
कुशवाहा ने कहा कि राजनीति व्यक्तिगत सुख-सुविधा के लिए नहीं होती। दबे-कुचले लोगों को न्याय दिलाने के लिए होती है। इसलिए अब सदन की कुर्सी छोड़कर वो सड़क पर आ गए हैं। बहुत से लोग कह रहे थे कि कुशवाहा को एमएलसी बनाकर एहसान किया। मुझे किसी का एहसान नहीं चाहिए। यह कुर्सी अब सेवा के लिए नहीं रह गई थी। नीतीश कुमार पर बिहार को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब उनका नीतीश के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष जारी रहेगा। बिहार के हित में उन्होंने नई पार्टी का गठन किया है।
बिहार विधान परिषद के सभापति दिनेश चंद्र ठाकुर ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। आज से परिषद में एक पद रिक्त हो गया है। कुशवाहा 17 मार्च, 2021 को विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से नामित हुए थे। उनका कार्यकाल 16 मार्च, 2027 तक था। हालांकि, दो साल से भी कम समय तक सदन में रहने के बाद उन्होंने त्याग पत्र दे दिया है।