पटना। बिहार केसरी स्व. डा. श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन मुख्य सचिवालय के प्रांगण में आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी, मंत्री शीला कुमारी, मो. आफाक आलम, विधायक अनिल कुमार, संजय कुमार सिंह, कुमुद वर्मा, सौरभ कुमार सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रतिमा पर पुष्पांजलि कर नमन किया।
कार्यक्रम के पश्चात पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने नगर निकाय चुनाव में आरक्षण से सवाल पर कहा कि अति पिछड़े वर्ग का रिजर्वेशन रहना चाहिए, वो जरूरी है। आयोग बन गया है, वो सभी चीजें देखेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1978 में इस देश में सबसे पहले बिहार में ही जननायक कर्पूरी ठाकुर ने ओबीसी और ईबीसी दोनों के लिए आरक्षण देने का काम किया था। उनके समय का यह काम किया हुआ है। बाद में वर्ष 2000 में तत्कालीन सरकार ने ओबीसी के लिए आरक्षण देने का काम किया था ।
सीएम ने कहा कि वर्ष 2005 में जब हमलोगों को मौका मिला तो हमने उसमें कहा कि ओबीसी में सिर्फ ईबीसी को आरक्षण देंगे। सभी दल के लोगों से विचार-विमर्श करने के बाद यह काम हुआ है। अति पिछड़े के लिए तो यह वर्ष 2006 में ही जब पहली बार पंचायत का चुनाव हुआ तब किया गया था और वर्ष 2007 में नगर निकायों के लिए भी उसी प्रकार का कानून बनाकर आरक्षण दिया गया।
सीएम ने कहा कि बहुत लोगों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने तो बिल्कुल सरकार का जो निर्णय था, उसको सही कहा और सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला आया कि ठीक है। यहां तो चार बार पंचायत का चुनाव इसी तरीके से हुआ और तीन बार नगर निकाय का भी चुनाव हो चुका है। अति पिछड़ों को आरक्षण क्यों नहीं मिलना चाहिए? शहरी इलाके में तो सबको मालूम है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा जो अति पिछड़े वर्ग के लोग हैं वे सबसे ज्यादा गरीब हैं, उनको आरक्षण जरूर मिलना चाहिए।