मुजफ्फरपुर। बिहार में लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है। शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहे इस महापर्व में लाह की बनी चुड़ियों का बड़ा महत्व है। मुजफ्फरपुर का इस्लामपुर लहठी मंडी जो विभिन्न प्रकार के फैंसी लाह की चूड़ियों के लिए देश ही नहीं विदेशों तक प्रसिद्ध है। इस लहठी मंडी की बनी हुई लहठी देश के विभिन्न बड़े चेहरे के घर भी भेजी जाती रही है। चाहे वह फिल्म स्टार हो, क्रिकेट के स्टार हो या राजनेता सभी के घर की महिलाएं इसे खूब पसंद करती हैं। इस मंडी में वैसे तो हमेशा ही ग्राहकों की ठीक-ठाक संख्या रहती है, लेकिन खासकर जब बिहार में प्रसिद्ध लोक आस्था का महापर्व छठ हो या सावन तब इस मंडी की रौनक देखते ही बनती है।
बिहार में अभी चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हुई है। इसको लेकर छठ व्रत करने वाली महिलाओं तथा घर वालों की भीड़ लहठी मंडी में लाह से निर्माण किए हुए लहठी खरीदने के लिए मानो उमड़ पड़ी है। मान्यता है कि इस पर्व में चूंकी साफ-सफाई काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसलिए यहां बिना किसी दूसरे चीज को मिलाकर लाह की लहठी तैयार की जाती है जो पौराणिक काल से चली आ रही है।
मंडी में छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने पूछने पर बताया कि लाह जंगलों में मिलता है और काफी शुद्ध माना जाता है इसलिए लाह की लहठी से ही सभी छठ व्रत महिलाएं करती हैं। उल्लेखनीय है कि चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व नहाय खाये से शुरू होता है। जिसके बाद अगले दिन रात को (खड़ना) चन्द्रमा की पूजा महिलाएं विधि विधान से घर में अलग चूल्हे पर बनाई गई खीर, रोटी से करती हैं। उसके बाद फिर अगले दिन डूबते सूर्य को सभी प्रकार के फलों से नदी-तालाब में स्नान कर खड़े होकर अर्घ देती हैं और अंतिम दिन उगते सूर्य के अर्घ के साथ इस चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन होता है।
इस पूजा में शामिल होने सभी बिहार वासी प्रदेशों से अपने घर आते हैं तथा अपने सपरिवार के साथ मिलकर नए और साफ सुथरे वस्त्र के साथ विभिन्न प्रकार के मिन्नतें पूरा होने की आस लगाए रहते हैं। माना जाता है कि जो सच्चे मन से इस पूजा में अपनी मन्नतें मांगते है भगवान उसे पूरा जरूर करते हैं।