Ranchi : विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा रखे गए प्रतिबंधित पिस्टल को लेकर डीजीपी से रविवार को बात की है। बातचीत के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा प्रतिबंधित जी-44 मॉडल ग्लौक पिस्टल अवैध रूप से खरीदने, अवैध रूप से जमशेदपुर शहर लाने, जिला आर्म्स मजिस्ट्रेट के यहां गलत रिपोर्ट देने, कदमा थाना में आधी-अधूरी जानकारी देकर प्रतिबंधित पिस्तौल अवैध रूप से अपने घर में रखने और सार्वजनिक स्थान पर प्रतिबंधित पिस्टल से फायरिंग करने की शिकायत की है। उन्होंने मंत्री के अवैध कारनामे के बारे में दूरभाष पर राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस निदेशक को जानकारी देते हुए कहा कि वे जिला के उपायुक्त और एसएसपी से इस संबंध में एक स्वभारित प्रतिवेदन की मांग करें।
उन्होंने कहा कि एक मंत्री की गैर कानूनी गतिविधियों पर हाथ डालने के साथ साथ कानूनी कदम उठाने में लगता है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य के पुलिस एवं प्रशासनिक मुख्यालय से इन्हें आवश्यक समर्थन और निर्देश मिलना आवश्यक है। ताकि ये अपने वैधानिक दायित्व का निर्वहन कर सकें। पुलिस महानिदेशक से उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने 21 जनवरी 2023 को इस पिस्टल की खरीद बिक्री को अवैध ठहराते हुए सभी राज्यों को लिखा है कि यदि किसी ने यह पिस्तौल रखा है तो उसे जप्त कर सरकारी मालखाना में जमा कराएं।
वहीं शहर के कदमा थाना क्षेत्र में निवास करने वाले स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास यह प्रतिबंधित पिस्टल है। और तो और पत्रकारों के एक स्थानीय कार्यक्रम में इन्होंने इससे फायरिंग भी की थी। उन्होंने डीजीपी को बताया कि इस कांड की सूचना जमशेदपुर जिला प्रशासन को मिले तीन दिन हो गए हैं। मगर इन्होंने कोई कारवाई नहीं की है। इन्हें चाहिए था कि वे अविलंब यह प्रतिबंधित पिस्तौल जप्त कर मालाखाना में जमा कराते और आर्म्स एक्ट की धारा-7 के उल्लंघन करने के लिए प्रतिबंधित पिस्तौल के धारक स्वास्थ्य मंत्री के विरूद्ध आर्म्स एक्ट की धारा- 25 ए के तहत कारवाई करते। वहीं मंत्री की गैर कानूनी हरकत के लिए उनके विरूद्ध कारवाई करते, एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान करते, पर ऐसा नहीं हुआ।
झारखंड के डीजीपी भली भांति अवगत हैं कि प्रतिबंधित पिस्तौल रखने के इस जुर्म की कम से कम सजा 7 साल की है और सजा की सीमा 14 साल तक हो सकती है। ऐसी स्थिति में शहर की पुलिस एक संगीन जुर्म का मूकदर्शक बनी हुई है। सिर्फ इसलिए कि यह संगीन जुर्म करने वाला व्यक्ति सरकार में कैबिनेट मंत्री है। अगर एक साधारण व्यक्ति ने ऐसा जुर्म किया होता तो पुलिस कब का उसे सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी होती। न्याय की नजर से हर व्यक्ति समान है। समान जुर्म की सजा समान है। मगर यहां की पुलिस इस न्यायिक सिद्धांत का पालन नहीं कर रही है।
मंत्री होने के कारण एक व्यक्ति कानून का धड़ल्ले से उलंघन कर रहा है और पुलिस प्रशासन लाचार बनी हुई है। वहीं उन्होंने कहा कि डीजीपी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वे इस आशय का प्रतिवेदन यथाशीघ्र जिला के एसएसपी से मांगते हुए उचित कारवाई का निर्देश भी देंगे। बताते चलें कि जिस प्रतिबंधित पिस्तौल का लाइसेंस लेकर इस्तेमाल करने का आरोप स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर लगा है। उसी पिस्तौल का लाइसेंस लेने के लिए एआईएमआईएम पार्टी के प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने भी कोशिश की थी। मगर उन्हें नहीं मिली।