Begusarai: भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाले अनंत पूजा की हर घर में तैयारी की गई है। शुक्रवार को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला अनंत चतुर्दशी का व्रत मनाया जाएगा। ज्योतिष अनुसंधान केंद्र गढ़पुरा के संस्थापक पंडित आशुतोष झा ने बताया कि अनंत चतुर्दशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 28 सितम्बर को है। जगत के पालनहार भगवान श्री नारायण विष्णु के आदि और अंत का पता नहीं है, इसीलिए अनंत चतुर्दशी के दिन उनके अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत फल देने वाले इस व्रत में पूजा करने और अनंत सूत्र बांधने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोक, तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव, स्व, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट होकर अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए आज के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है।
प्रत्येक गांठ में क्या छुपा है नाम :
सभी गांठ में भगवान विष्णु के अलग-अलग नामों से पूजा की जाती है। पहले गांठ में अनंत की पूजा-अर्चना होती है, उसके बाद क्रमवार तरीके से ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द की पूजा किया जाता है। पूजा कर पुरुष दाहिने और स्त्री बांये हाथ में अनंत सूत्र को बांधते हैं। अनंत चतुर्दशी व्रत में स्नानादि करने के बाद अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के सूत से बने तथा हल्दी से रंगे चौदह गांठ के अनंत सूत्र को भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने रखकर पूजा की जाती है।
क्या है अनंत चतुर्दशी की कथा :
इस अनंत सूत्र को बांधने से व्यक्ति प्रत्येक कष्ट से दूर रहता है, सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। विष्णु सहस्त्रनाम स्रोत का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जो महिलाएं इस व्रत को विधिपूर्वक करती हैं, उन्हें सुख-समृद्धि, धन-धान्य और संतान एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कथा के अनुसार पांडवों के राज्यहीन हो जाने पर श्रीकृष्ण ने अनंत चतुर्दशी व्रत करने की सलाह दिया था।